बाजरा की पैदावार बढ़ाने के लिए क्या करें? कृषि विभाग ने किसानों को दिए ये टिप्स
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Tue, Jul 09, 2024 01:27 PM IST
Bajra Cultivation: बाजरा खरीफ के मौसम में बोई जाने वाली राजस्थान की प्रमुख फसल है. राजस्थान में बाजरा मनुष्य के भोजन और पशुओं के हरे व सूखे चारे के लिए महत्वपूर्ण फसल हैं. बाजरा की बुवाई का उपयुक्त समय मध्य जून से जुलाई के तीसरे हफ्ते तक है.
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बाजरा में लगते हैं ये रोग
फसल उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए उन्नत शष्य क्रियाओं के साथ-साथ फसल को कीटों व रोगों से बचाना भी बहुत जरूरी है. बाजरा की फसल में तुलासिता, हरितबाली रोग, अरगट रोग तथा दीमक व सफेद लटकीट आदि का प्रकोप होता हैं. बाजरा की फसल को कीटों व रोगों से बचाने के लिए विभागीय सिफारिशों के अनुसार रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करें. साथ ही बीजोपचार करें.
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बीजोपचार करते अपानएं ये सावधानी
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तुलासिता रोग से बचाव का तरीका
इन रोगों से बचाव के लिए बीजोपचार व अन्य विभागीय सिफारिशों का उपयोग करें. तुलासिता रोग एक फफूंद जनित रोग है जिसे राजस्थान में हरित बाली या जोगिया रोग आदि नामों से भी जाना जाता है. इस रोग से बचाव हेतु रोग प्रतिरोधी किस्मों जैसे-एचएचबी 67 इम्प्रूवड,, राज 171, आरएचबी 177, आरएचबी 173, आरएचबी 121, आरएचबी 223, आरएचबी 233, आरएचबी 234, आरएचबी 228 आदि का उपयोग करें साथ ही बीजों को बुआई से पूर्व 6 ग्राम एप्रोन एसडी 35 प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करके बुवाई करें.
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अरगट रोग से बचाव के लिए करें ये काम
अरगट रोग से बचाव के लिए बीजों को नमक के 20 फीसदी घोल (एक किलो नमक 5 लीटर पानी) में लगभग 5 मिनट तक डुबो कर हिलाएं. तैरते हुए हल्के बीजों एवं कचरे को निकालकर जला देवें और बाकी बचे हुए बीजों को साफ पानी से धोकर, अच्छी प्रकार से छाया में सुखा कर 3 ग्राम थाइरम प्रतिकिलो बीज की दर से उपचारित करके बुवाई करें.
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दीमक से बचाव का उपाय
बाजरे की फसल को दीमक, सफेद लट, तना मक्खी व तनाछेदक से बचाने के लिए बुवाई से पहले बीजों को इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ एस की 8.75 मि.ली अथवा क्लोथायोनिडिन 50 डब्ल्यू.डी.जी. 7.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से जरूरत के अनुसार पानी में घोल बनाकर बीजों पर समान रुप से छिड़काव कर उपचारित कर छाया में सुखाने के बाद 2 घंटे के अन्दर ही बुवाई करें.
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