Natural Farming: खेती-किसानी में लोगों का रुझान बढ़ा है. लोग नौकरी छोड़कर खेती में हाथ आजमा रहे हैं और इसमें सफलता भी पा रहे हैं. हिमाचल प्रदेश के रहने वाले अजय रत्न भी ऐसे ही किसान हैं, जिन्होंने 10 वर्षों तक सहायक अभियंता के तौर पर नौकरी करने के बाद गांव आकर खेती-बाड़ी शुरू की. उन्होंने आम किसान की तरह खेती करना शुरू किया था, लेकिन खेती लागत में हो रही बेतहाशा बढ़ोतरी को देखते हुए उन्होंने इसमें कुछ नया कर किसानों के लिए एक सस्ता और टिकाऊ खेती मॉडल पेश करने की ठानी. इसके लिए अजय ने 'सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती' (Prakritik Kheti) विधि को अपनाया और खेती की लागत को जीरो तक पहुंचाकर लोगों के लिए प्रेरणा बने.

प्राकृतिक खेती ने बदली तस्वीर

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प्राकृतिक खेती के गुर सीखने के बाद अजय ने 25 बीघा में इस विधि से खेती-बाड़ी कर रहे हैं. इसके सफल मॉडल को देखकर इलाके के अन्य किसान इनके साथ जुड़े हैं. अजय मास्टर ट्रेनर हैं और अभी तक हजारों किसानों को प्राकृतिक खेती विधि के बारे में जागरूक कर चुके हैं. प्राकृतिक खेती का सफल मॉडल पेश करने के चलते अजय रत्न वर्ष 2019 में 'कृषि अनन्य' सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं.

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नौकरी छोड़ने के बाद अजय को पिता और परिवार का सहयोग मिला. प्राकृतिक खेती विधि के लिए सबसे जरूरी देसी नस्ल की गाय है जो उनके पास नहीं थी. इसलिए उन्होंने इसे अपनाने से पहले अपने रिश्तेदारों से देसी गाय ली और अब खुद की गायें खरीद कर न सिर्फ अपनी खेती के लिए प्राकृतिक आदान तैयार किए, बल्कि दूर-दूर से आने वाले किसानों को भी इन्हें मुहैया करवाया.

कम खर्च में ज्यादा मुनाफा

अजय हर साल 5 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं और इसके लिए उनका खर्चा महज 2000 से 3000 रुपये ही आ रहा है. हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के मुताबिक, वो बताते हैं कि प्राकृतिक खेती विधि में बाजार से कुछ भी सामान लाने की जरूरत नहीं होती है. खेती में प्रयोग होने वाले सभी संसाधन घर के आस-पास ही मिल जाते हैं, जिससे खेती की लागत बिल्कुल न के बराबर होती है. उन्होंने बताया कि इस खेती विधि से मानव स्वास्थ्य के साथ जमीन के स्वास्थ्य में भी लगातार सुधार होता जाता है.

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वो गन्ना, चना, गेहूं, मटर, मक्का, सोयाबीन, मंगू, अरहर, अरबी, अदरक, टमाटर, शिमला मिर्च, घीया और तोरी की खेती कर रहे हैं. रासायनिक खेती में खर्च 30,000 रुपये होता था और कमाई 45,000 रुपये होती था. लेकिन प्राकृतिक खेती (Natural Farming) में खर्च घटकर 3,000 रुपये रह गया और मुनाफा 5 लाख रुपये से ज्यादा रहा.

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