खाने का तेल हुआ सस्ता, सस्ते आयातित तेलों की भरमार घरेलू बाजार में लुढ़का तेल-तिलहलन का भाव, जानिए नए रेट्स
तेल तिलहन और बिनौला तेल कीमतों में मामूली गिरावट आई. दूसरी ओर सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (CPO) और पामोलीन के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ.
तेल तिलहन का महंगा होना इस बात का संकेत है कि किसानों को अच्छे पैसे मिल रहे हैं. (Image- Reuters)
तेल तिलहन का महंगा होना इस बात का संकेत है कि किसानों को अच्छे पैसे मिल रहे हैं. (Image- Reuters)
देश में सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे सस्ते आयातित तेलों की भरमार होने के बीच मांग कमजोर रहने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट का रुख रहा और सरसों एवं सोयाबीन तेल तिलहन तथा बिनौला तेल कीमतों में मामूली गिरावट आई. दूसरी ओर सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (CPO) और पामोलीन के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए. बाजार सूत्रों के मुताबिक, विदेशी बाजार शनिवार को बंद थे. शिकॉगो एक्सचेंज शुक्रवार को बंद था. सोमवार को बाजार खुलने के बाद ही आगे का रुख पता लगेगा.
सूत्रों ने कहा कि पिछले साल सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5,050 रुपये प्रति क्विंटल था और उस साल किसानों ने सरसों की अच्छी पैदावार भी की थी. इसके बावजूद उन्हें 6,500-7,000 रुपये प्रति क्विंटल का ऊंचा दाम मिला था. इससे उत्साहित होकर उन्होंने इस साल भी भारी मात्रा में उत्पादन किया है लेकिन सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के शुल्क-मुक्त आयात की छूट होने और विदेशों में इन तेलों के दाम टूटने से सरसों का बाजार में खपना दूभर हो गया है.
ये भी पढ़ें- यूपी के दूध उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए योगी सरकार ने किया बड़ा ऐलान, तीन साल तक मिलेंगे ₹20 लाख, जानिए पूरी डीटेल
सूरजमुखी पर अप्रैल से 5.5% आयात शुल्क लगा
TRENDING NOW
भारी गिरावट में बेच दें ये 2 शेयर और 4 शेयर कर लें पोर्टफोलियो में शामिल! एक्सपर्ट ने बताई कमाई की स्ट्रैटेजी
इंट्राडे में तुरंत खरीद लें ये स्टॉक्स! कमाई के लिए एक्सपर्ट ने चुने बढ़िया और दमदार शेयर, जानें टारगेट और Stop Loss
EMI का बोझ से मिलेगा मिडिल क्लास को छुटकारा? वित्त मंत्री के बयान से मिला Repo Rate घटने का इशारा, रियल एस्टेट सेक्टर भी खुश
टूटते बाजार में Navratna PSU के लिए आई गुड न्यूज, ₹202 करोड़ का मिला ऑर्डर, सालभर में दिया 96% रिटर्न
TATA Group के इस स्टॉक से गिरते बाजार में भी होगी तगड़ी कमाई! शॉर्ट टर्म में खरीदारी का नोट करें टारगेट
देश के बंदरगाहों पर सूरजमुखी तेल का थोक भाव 80 रुपये प्रति लीटर है जबकि सरसों तेल की लागत लगभग 125 रुपये प्रति लीटर है. लेकिन सूरजमुखी तेल खुदरा बाजार में प्रीमियम पर बेचे जाने के कारण 130-140 रुपये प्रति लीटर के भाव पर मिल रहा है. सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी तेल के आयात का दाम 1,450 डॉलर प्रति टन था तो उस पर 38.5% का आयात शुल्क लागू था. कुछ दिनों बाद सूरजमुखी तेल का दाम 2,500 डॉलर प्रति टन होने पर सरकार ने शुल्क-मुक्त आयात की छूट दे दी थी. इसी तेल का दाम 1,050 डॉलर प्रति टन रह गया है तो उस पर अप्रैल से 5.5% आयात शुल्क लगा दिया गया है.
सूत्रों के मुताबिक, सरकार को अपने देशी तेल तिलहनों का बाजार विकसित करने के लिए देशी तेल तिलहनों की खपत को प्राथमिकता देकर उसी के अनुरूप शुल्कों को निर्धारित करना होगा. ऐसा नहीं होने पर खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करना एक सपना ही रह जाएगा.
ये भी पढ़ें- इलेक्ट्रिकल इंजीनियर नौकरी छोड़ बना किसान, 2 हजार लगाकर कमा लिया ₹2 लाख, जानिए कैसे किया कमाल
सूत्रों ने कहा कि पिछले साल जब आयातित नरम तेलों के दाम सरसों से 30 रुपये किलो अधिक थे तो देश के किसानों को सरसों फसल के पूरे दाम मिले और सरसों के डीआयल्ड केक (DOC) का रिकॉर्ड मात्रा में निर्यात होने से विदेशी मुद्रा की भी कमाई हुई. लेकिन इस बार अगर किसानों की सरसों फसल नहीं खपने पर डर है कि कहीं सरसों का भी हाल सूरजमुखी की तरह ना हो जाए. सूरजमुखी का पहले देश में पर्याप्त उत्पादन होता था लेकिन आज अधिक एमएसपी होने के बावजूद सूरजमुखी की खेती सिमटकर महज लगभग 10% रह गई है.
सूत्रों ने कहा कि तेल तिलहन के दाम बढ़ने पर खूब हंगामा किया जाता है लेकिन दूध का कारोबार तिलहन के कारोबार से अभिन्न रूप से जुड़ा है. तेल तिलहन का महंगा होना इस बात का संकेत है कि किसानों को अच्छे पैसे मिल रहे हैं जिससे वे उत्पादन बढ़ाएंगे और देश तेल तिलहन मामले में आत्मनिर्भर बनेगा. बता दें कि तिलहन की प्रति व्यक्ति जो खपत होती है वह दूध के मुकाबले काफी कम है.
ये भी पढ़ें- खुशखबरी! इस प्राइवेट कंपनी ने घटाए CNG, PNG के दाम, इन शहरों में सस्ता हुआ खाना पकाना और गाड़ी चलाना
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
08:42 PM IST