सूखा प्रतिरोधी धान का रकबा बढ़ाएगी सरकार, मौसम की मार का उत्पादन पर नहीं पड़ेगा असर
Kharif Dhaan: यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब हाल के वर्षों में अनियमित वर्षा का रूख सामान्य बात हो गई है, जिससे देश में धान (Paddy) के उत्पादन के लिए खतरा पैदा हो गया है.
Kharif Dhaan: जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार कुल खरीफ धान के 25 फीसदी रकबे को जलवायु-अनुकूल बीजों के दायरे में लाने का लक्ष्य लेकर चल रही है. कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब हाल के वर्षों में अनियमित वर्षा का रूख सामान्य बात हो गई है, जिससे देश में धान (Paddy) के उत्पादन के लिए खतरा पैदा हो गया है. चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक भारत, खरीफ सत्र के दौरान 410 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में धान की खेती करता है.
ICAR ने सूखा प्रतिरोधी धान के बीज विकसित किए
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के 96वें स्थापना और प्रौद्योगिकी दिवस समारोह में आईसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने कहा, हालांकि हमने गेहूं (Wheat) की खेती में जलवायु-अनुकूल बीजों का 75 फीसदी कवरेज हासिल कर लिया है, लेकिन धान में इसे अपनाने की गति अभी सीमित है. पाठक ने खुलासा किया कि आईसीएआर ने सूखे प्रतिरोधी धान के बीज विकसित किए हैं. ये बीज 2023 खरीफ मौसम के दौरान कुल धान क्षेत्र के 16 फीसदी में बोए गए थे. उन्होंने कहा, चालू खरीफ मौसम के लिए, हमारा लक्ष्य इसे 25 फीसदी तक बढ़ाना है.
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जलवायु परिवर्तन से 3 से 5% तक घट सकता है चावल उत्पादन
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जलवायु-प्रतिरोधी बीजों के लिए जोर, एक महत्वपूर्ण समय पर आया है. शोध अध्ययनों से संकेत मिलता है कि जलवायु परिवर्तन मध्यम उत्सर्जन परिदृश्य के तहत भारत में चावल की पैदावार को 3 से 5 फीसदी तक कम कर सकता है और उच्च उत्सर्जन के तहत वर्ष 2030 तक 31.3 फीसदी तक कम कर सकता है. फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) के लिए भारत का अनुमानित चावल उत्पादन 13.67 करोड़ टन है. शीर्ष चावल उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश शामिल हैं.
अब तक लगभग 60 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई
पाठक ने वर्ष 2023-24 में 11.29 करोड़ टन के रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन का श्रेय मौसम संबंधी दिक्कतों के बावजूद जलवायु-प्रतिरोधी बीजों के व्यापक उपयोग को दिया. सरकार अब धान की खेती में इस सफलता को दोहराने की उम्मीद कर रही है. देशभर में मुख्य खरीफ (ग्रीष्म) फसल धान की बुवाई चल रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जून में बुवाई शुरू होने के बाद से अब तक लगभग 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई हो चुकी है. जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील किस्मों को अपनाना, बढ़ती जलवायु अनिश्चितता के बीच भारत के चावल उत्पादन को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
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08:50 PM IST