Millets: सरकार ने बजट 2023 में मोटे अनाज पर जोर दिया. भारत मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. इसके तमाम फायदों को देखते हुए बिहार सरकार ने चौथे कृषि रोडमैप के ड्राफ्ट में मोटे अनाज को प्रोत्साहित करने का प्लान बनाया है. इसकी खेती से किसानों की किस्मत चमकेगी. मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, जौ, कोदो, सांवा, महुआ सहित अन्य पोषक अनाजों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने का फैसला लिया गया है. 

कम बारिश वाले इलाकों में होगी मोटे अनाज की खेती

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बिहार सरकार कृषि विभाग के मुताबिक, कृषि रोडमैप अप्रैल से राज्य में लागू होगा. बिहार में मोटे अनाज की खेती कम बारिश वाले क्षेत्रों में होगी. आमतौर पर धान और गेहूं की तुलना में मोटे अनाज में सिंचाई और उर्वरक के साथ मजदूरी में करीब 20% लागत खर्च कम होगी. पायलट प्रोजेक्ट के तहत अलग-अलग जिले की मिट्टी और जलवायु के मुताबिक, किसी एक फसल का चयन किया जा सकेगा.

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कृषि विभाग के मुताबिक, दलहन, तिलहन, धान और गेहूं नकदी फसलों में शामिल हो चुका है. मोटे अनाज का उत्पादन धान-गेहूं की तुलना में मात्र एक चौथाई होती है. धान और गेहूं को सरकारी अधिप्राप्ति के साथ राइस मिल की सुविधा उपलब्ध हो गई. मोटे अनाज की कम उपज को फायदेमंद बनाने के लिए कृषि रोडमैप में किए जाने वाले प्रावधान पर निर्भर होगा.

कोदो और सांवा की खेती को प्राथमिकता

बिहार सरकार किसानों को कोदो और सांवा जैसे मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करेगी. इसकी खेती में किसानों की लागत कम आएगी और मुनाफा बेहतर होगा.

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