Climate Change: गोवा को चुकानी पड़ रही जलवायु परिवर्तन की कीमत, खराब हो रहीं काजू की फसलें
Cashewnut Cultivation: गोवा तटीय कटाव के खतरे का सामना कर रहा है, समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी और बाढ़ के कारण अपनी 15% जमीन खो रहा है और कृषि गतिविधियों पर असर पड़ रहा है.
(Image- Freepik)
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Cashewnut Cultivation: खराब मौसम का असर गोवा के के काजू की फसल (Cashew Crop) पर पड़ा है. गोवा तटीय कटाव के खतरे का सामना कर रहा है, समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी और बाढ़ के कारण अपनी 15% जमीन खो रहा है और कृषि गतिविधियों पर असर पड़ रहा है. यह कहते हुए कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव तटीय राज्य में आसानी से देखा जा सकता है, पर्यावरणविदों ने राय दी कि सरकार को इसे संबोधित करने को प्राथमिकता देनी चाहिए, अन्यथा राज्य को आर्थिक रूप से नुकसान होगा. एनवायरमेंटलिस्ट अभिजीत प्रभुदेसाई के मुताबिक, जलवायु संकट ही एकमात्र मुद्दा है , जिस पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा, यह सरकार के लिए निपटने का एकमात्र मुद्दा होना चाहिए. जलवायु परिवर्तन के लिए गोवा राज्य कार्य योजना के अनुसार, बाढ़ और अन्य कारणों से गोवा की 15% जमीन नष्ट हो जाएगी. इसलिए इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
प्रभुदेसाई के मुताबिक, अगर गोवा अपनी जमीन खो देता है तो इसका असर पर्यटन पर भी पड़ेगा, क्योंकि समुद्र तट पानी में डूब जाएंगे. उन्होंने सवाल किया, हम पर्यटन के उन क्षेत्रों को खो देंगे, जिन पर हमारी अर्थव्यवस्था निर्भर है. अगर अर्थव्यवस्था ढह गई तो हम क्या करेंगे. उन्होंने कहा कि 15 फीसदी जमीन खोने से तटीय राज्य को बहुत बड़ा नुकसान होगा. समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी के कारण तटीय क्षरण होगा. पूरा तटीय क्षेत्र प्रभावित होगा.
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एग्री सेक्टर पर जलवायु परिवर्तन का असर
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प्रभुदेसाई ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर कृषि क्षेत्र (Agri Sector) पर पड़ रहा है और इसलिए सरकार को बजट में अधिकतम प्रावधान करके इन मुद्दों को हल करने को प्राथमिकता देनी चाहिए. अगर भूजल रिचार्ज नहीं हुआ तो हमें पीने योग्य पानी की कमी का भी सामना करना पड़ सकता है. कई मुद्दे हैं. अब बारिश का पैटर्न बदल गया है, हम नहीं जानते कि भविष्य में क्या होगा. परियोजनाओं पर भारी रकम खर्च करने के बजाय, पैसा जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने पर खर्च किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर फलों के पैटर्न पर भी पड़ा है. प्रभुदेसाई ने कहा, कई किसान (Farmer) हमें बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन ने काजू उत्पादन (Cashew Production) और अन्य गतिविधियों को प्रभावित किया है. यहां तक कि मछुआरों का भी कहना है कि मछलियां प्रजनन के लिए अन्य स्थानों की ओर जा रही हैं क्योंकि जलवायु उपयुक्त नहीं है.
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फल और फूल खिलने का पैटर्न बदला
उन्होंने कहा, समुद्र के कटाव के कारण हमारे समुद्र तट छोटे होते जा रहे हैं और फलों और फूलों के खिलने का पैटर्न बदल रहा है. यहां तक कि प्रवासी पक्षी भी कम संख्या में आ रहे हैं. दक्षिण गोवा के किसान अभय नाइक ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण उन्हें काजू उत्पादन में नुकसान हो रहा है. उन्होंने बताया, पिछले तीन-चार सालों से हम अपने काजू उत्पादन में गिरावट देख रहे हैं. एनवायरमेंटलिस्ट राजेंद्र केरकर के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन का असर पश्चिमी घाट में देखा जा सकता है, जहां से जुआरी और मांडोवी का उद्गम होता है.
12:59 PM IST