कट गई Salary.. चली गई Job.. 1600 कर्मचारियों को आ रहा सुसाइड का ख्याल! 16 महीनों में 65 लोग ले चुके हैं अपनी जान
डायमंड वर्कर्स यूनियन गुजरात (डीडब्ल्यूयूजी) द्वारा 15 जुलाई को शुरू की गई ‘सुसाइड हेल्पलाइन नंबर’ (Suicide Helpline Number) पर इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की ओर से 1,600 से अधिक संकटपूर्ण कॉल आई हैं. पिछले 16 माह में सूरत में 65 हीरा श्रमिकों ने आत्महत्या की है.
डायमंड वर्कर्स यूनियन गुजरात (डीडब्ल्यूयूजी) द्वारा 15 जुलाई को शुरू की गई ‘सुसाइड हेल्पलाइन नंबर’ (Suicide Helpline Number) पर इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की ओर से 1,600 से अधिक संकटपूर्ण कॉल आई हैं. इस पहल से जुड़े एक पदाधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए, डीडब्ल्यूयूजी के उपाध्यक्ष भावेश टांक ने कहा कि पिछले 16 माह में सूरत में 65 हीरा श्रमिकों ने आत्महत्या की है, उनमें से अधिकांश ने वेतन कटौती (Salary Cut) और नौकरी छूटने (Job Loss) के कारण उत्पन्न कठिनाइयों के कारण यह चरम कदम उठाया, जो उद्योग में मंदी (Recession) का परिणाम है.
सूरत इस क्षेत्र के प्रमुख केंद्रों में से एक है, जहां दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत कच्चे हीरे तराशे और पॉलिश किए जाते हैं. यह काम 2,500 से अधिक इकाइयों में कार्यरत लगभग 10 लाख श्रमिकों द्वारा किया जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘हमने 15 जुलाई को यह हेल्पलाइन नंबर शुरू किया था. अब तक हमें 1,600 से ज़्यादा कॉल आ चुकी हैं, जिनमें से कई ने कहा है कि वे वित्तीय तनाव के कारण अपनी जान लेने के कगार पर हैं. कॉल करने वाले ज़्यादातर लोग पिछले कुछ महीनों में बेरोज़गार हो गए हैं. वे रोज़गार की तलाश में भी परेशान हैं.’’
टांक ने बताया, ‘‘जिन लोगों के वेतन में 30 प्रतिशत तक की कटौती हुई है, वे अपने बच्चों की स्कूल फीस, घर का किराया, घर और वाहन लोन की मासिक किस्त आदि चुकाने में मदद मांगते हैं. यूक्रेन-रूस और इज़राइल-गाजा संघर्षों के साथ-साथ प्रमुख बाज़ार चीन में कमज़ोर मांग के कारण आपूर्ति ज़्यादा है, जिसके कारण इस साल 50,000 कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.’’
रविवार को एक कार्यक्रम में सूरत में इकाई वाली हीरा निर्माण कंपनी धर्मनंदन डायमंड्स के चेयरपर्सन लालजी पटेल ने प्रत्येक छात्र को 15,000 रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की और इस क्षेत्र के ज़रूरतमंद परिवारों को चेक वितरित किए. धर्मनंदन डायमंड्स ने एक बयान में कहा, ‘‘छोटी हीरा इकाइयों के बंद होने से कुछ जौहरियों की नौकरी चली गई है और वे घर चलाने और यहां तक कि अपने बच्चों की स्कूल और कॉलेज की फीस भरने में भी असमर्थ हैं.’’
वित्तीय संकट को झेलने में असमर्थ हीरा श्रमिकों द्वारा आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के बीच, सूरत डायमंड वर्कर्स यूनियन ने हाल ही में एक हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है, जहां कई श्रमिकों ने अपने बच्चों की स्कूल और कॉलेज की फीस भरने में सहायता के लिए अनुरोध किया है.
बयान में कहा गया है, ‘‘वित्तीय सहायता मांगने वाले परिवारों की वित्तीय स्थिति का सर्वेक्षण करने के बाद, उन्हें स्कूल की फीस के लिए चेक दिए गए. रविवार को एक चेक वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले 40 छात्रों को स्कूल की फीस के लिए 15,000 रुपये के चेक दिए गए.’’ पटेल ने कहा कि उनकी फर्म यह कदम इसलिए उठा रही है क्योंकि हीरा उद्योग में मंदी का माहौल है और वह यह सुनिश्चित करना चाहती है कि बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो.
(भाषा से इनपुट के साथ)