वित्त मंत्रालय घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर चालू वित्त वर्ष में 3,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने के बारे में निर्णय करेगा. सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने पिछले साल तीनों बीमा कंपनियों- नेशनल इंश्योरेंस लि., ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लि. और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी- से कारोबार के बजाये मुनाफे पर ध्यान देने को कहा था और बेहतर मूल्यांकन के साथ केवल अच्छे प्रस्ताव पर आगे बढ़ने को कहा. 

तीनों जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को मिले थे 5,000 करोड़

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उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के वित्तीय आंकड़ों से लाभ की स्थिति और ‘सॉल्वेंसी मार्जिन’ यानी अनुमानित देनदारी के बाद की बची पूंजी पर शुरू किये गये पुनर्गठन के प्रभाव का पता चलेगा. सरकार ने पिछले साल तीनों साधारण बीमा कंपनियों...नेशनल इंश्योरेंस लि., ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लि. तथा यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को 5,000 करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध करायी थी. कोलकाता स्थित नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को सबसे अधिक 3,700 करोड़ रुपये मिले. इसके बाद दिल्ली स्थित ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 1,200 करोड़ रुपये और चेन्नई स्थित यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को 100 करोड़ रुपये मिले.

सॉल्वेंसी रेशियो है कम

सूत्रों के मुताबिक, इन कंपनियों को अपने ‘सॉल्वेंसी मार्जिन’ में सुधार करने और नियामकीय व्यवस्था के तहत 150 प्रतिशत की आवश्यकता को पूरा करने के लिये कहा गया है. ‘सॉल्वेंसी मार्जिन’ पूंजी पर्याप्तता को बताता है. उच्च अनुपात बेहतर वित्तीय सेहत और कंपनी की भविष्य की जरूरतों तथा व्यापार वृद्धि योजनाओं को आगे बढ़ाने की क्षमता को बताता है. न्यू इंडिया एश्योरेंस को छोड़कर सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य साधारण बीमा कंपनियों का ‘सॉल्वेंशी रेशियो’ 2021-22 में नियामकीय जरूरत का 150 प्रतिशत से कहीं कम है. 

उदाहरण के लिये नेशनल इंश्ययोरेंस कंपनी लि. के मामले में यह 63 प्रतिशत, ओरिएंटल इंश्योरेंस का 15 प्रतिशत और यूनाइटेड इंडिया के मामले में यह 51 प्रतिशत था. सरकार ने वित्त वर्ष 2019-0 में इन तीनों साधारण बीमा कंपनियों में 2,500 करोड़ रुपये की पूंजी डाली थी. 2020-21 में 9,950 करोड़ रुपये तथा 2021-22 में 5,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली गयी. यानी वित्तीय सेहत में सुधार लाने के लिये इन साधारण बीमा कंपनियों में अबतक 17,450 करोड़ रुपये डाले जा चुके हैं.

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