दिल्ली की एक सत्र अदालत ने ब्लूमबर्ग को ZEE एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) के खिलाफ प्रकाशित 'अपमानजनक' रिपोर्ट को हटाने के आदेश दिए हैं. ये रिपोर्ट 21 फरवरी को प्रकाशित की गई थी. इस वजह से कंपनी के शेयर में गिरावट आई थी. दिल्ली सेशंस कोर्ट ने इसे अवमानना-जनक पाया और ब्लूमर्ग टेलीविजन प्रोडक्शन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को ZEEL पर भ्रामक और फर्जी रिपोर्ट हटाने का आदेश दिया. 

एक हफ्ते के अंदर हटाना होगा लेख, कंपनी को बदनाम करने के इरादे से किया गया था प्रकाशित

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अतिरिक्त जिला न्यायाधीश,हरज्योत सिंह भल्ला ने कहा कि निषेधाज्ञा के अंतरिम एकपक्षीय आदेश पारित करने के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनाता है. ब्लूमबर्ग को आदेश प्राप्त होने के एक सप्ताह के भीतर अपने प्लेटफॉर्म से इस मानहानिकारक लेख को हटाने का निर्देश दिया जाता है. ZEEL के वकील ने सुनवाई में तर्क दिया कि ब्लूमबर्ग का लेख झूठा और तथ्यात्मक रूप से गलत था. इसे कंपनी को बदनाम करने के इरादे से प्रकाशित किया गया था. यदि प्रार्थना के अनुसार निषेधाज्ञा नहीं दी गई तो कंपनी को अपूरणीय क्षति हो सकती है.

लेख से ZEEL के निवेशकों को हुआ था नुकसान, 15 फीसदी तक गिरा था शेयर

ZEEL ने कोर्ट में अपनी दलील में कहा था कि इस आर्टिकल के कारण कंपनी के निवेशकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. इस अपमानजनक लेख के कारण कंपनी के शेयर्स में 15 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई. लेख की सामग्री सीधे तौर पर वादी के कॉर्पोरेट गर्वनेंस और व्यवसाय संचालन से संबंधित है. लेख में गलत लिखा गया है कि SEBI ने कंपनी के अकाउंटिंग में 24.1 करोड़ डॉलर की विसंगतियां पाई हैं, जबकि सेबी की ओर से ऐसा कोई आदेश नहीं है.

ZEEL ने कहा कि कंपनी द्वारा दृढ़ता से इसका खंडन करने के बावजूद SEBI के किसी आदेश के आधार के बिना, आर्टिल में कंपनी की वित्तीय अनियमितताओं की गलत खबर प्रकाशित की. सेशन कोर्ट ने ब्लूमबर्ग को सुनवाई की अगली तारीख तक किसी भी ऑनलाइन या ऑफलाइन प्लेटफॉर्म पर लेख पोस्ट करने, प्रसारित करने या प्रकाशित करने से भी रोक दिया है.