Privatisation of Banks: पहले कहा सरकारी बैंकों के निजीकरण में जल्दबाजी ना हो, अब RBI ने अपनी ही रिपोर्ट से झाड़ा पल्ला
RBI on Privatisations: रिजर्व बैंक ने अपने हालिया बुलेटिन से पल्ला झाड़ लिया और कहा कि बुलेटिन के विचार लेखक के हैं, RBI के नहीं. इस बुलेटिन में कहा गया था कि सरकार को निजीकरण की दिशा में धीरे-धीरे बढ़ना चाहिए.
RBI on privatisation of Banks: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया नें अपने हालिया बुलेटिन पर सफाई दी है. रिजर्व बैंक ने अपनी सफाई में कहा कि उस आर्टिकल में निजीकरण को लेकर जो सुझाव दिए गए हैं वह लेखक के अपने निजी विचार हैं. यह रिजर्व बैंक के नजरिए को व्यक्त नहीं करता है. आरबीआई की तरफ से जारी हालिया बुलेटिन में सरकारी बैंकों के निजीकरण की दिशा में सोच-समझ कर आगे बढ़ने का सुझाव दिया गया है. इसमें कहा गया कि बैंकों का तेजी से निजीकरण (Privatisation of Banks)करना सही नहीं होगा.
आरबीआई की तरफ से जारी स्पष्टीकरण में साफ-साफ कहा गया है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि RBI सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के खिलाफ है. इन रिपोर्ट्स में रिजर्व बैंक के अगस्त बुलेटिन-Privatisation of PSBs an alternate perspective, का हवाला दिया गया है. इस रिपोर्ट को आरबीआई के रिसर्चर्स ने तैयार की है. इस लेख के सभी विचार लेखक के निजी विचार हैं. यह आरबीआई के विचार को व्यक्त नहीं करता है.
RBI Clarificationhttps://t.co/WO5xGXMIMs
— ReserveBankOfIndia (@RBI) August 19, 2022
सामाजिक दायित्वों को पूरा करने में सरकारी बैंक काफी आगे
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दरअसल इस लेख में दलील दी गई है कि सरकारी बैंक फाइनेंशियल इन्क्लूजन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. ऐसे में निजीकरण सोच समझकर होना चाहिए, क्योंकि निजी बैंकों का मुख्य उद्देश्य मुनाफे को बढ़ाना ही रहा है, जबकि सरकारी बैंक बड़े सामाजिक लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करते हैं.
सामाजिक लक्ष्य हासिल करने में सरकारी बैंक का रोल महत्वपूर्ण
फाइनेंशियल इन्क्लूजन के दूर दराज के इलाकों में बैंकों की मौजूदगी अहम है. मार्च 2021 तक के आंकड़ों में दावा किया गया है कि सरकारी बैंकों की 33% से ज्यादा शाखाएं ग्रामीण इलाकों में हैं. निजी बैंकों के मामले में ये आंकड़ा करीब 21% हैं. जबकि अर्ध शहरी इलाकों में निजी बैंक करीब 32% शाखाओं के साथ लीड रोल में हैं. शहरी इलाकों में सरकारी बैंकों की शाखाओं का हिस्सा करीब 19% है, जबकि निजी बैंकों की हिस्सेदारी 21% के आसपास है. वहीं महानगरों में 26.5% की हिस्सेदारी के साथ निजी बैंक लीड ले रहे हैं. इसी तरह बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट और ATM की संख्या के मामले में भी सरकारी बैंक (Privatization of Banks) ग्रामीण इलाकों में काफी आगे हैं. आंकडों में दावा किया गया है कि जनधन योजना के 45 करोड़ खातों में से 78% सरकारी बैंकों में ही हैं और इसमें से भी 60% खाते ग्रामीण और अर्ध शहरी इलाकों में हैं.
03:59 PM IST