Credit Card का ये खेल समझ गए तो आपके मजे ही मजे, ज्यादातर लोग इसी में कनफ्यूज होकर फंस जाते हैं Debt Trap में
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Mon, Jan 06, 2025 06:06 PM IST
Credit Card देने के लिए जब एजेंट लोगों को फोन करते हैं तो वह उसके तमाम फायदे बताते हैं. कुछ तो ये भी बताते हैं कि कार्ड Free में दिया जा रहा है, इस पर खूब रिवॉर्ड प्वाइंट्स (Reward Points) मिलेंगे. कई बैंक तो क्रेडिट कार्ड पर एनुअल चार्ज (Annual Charge) भी नहीं लेते. कुछ प्रीमियम कार्ड पर तो एयरपोर्ट पर लाउंज एक्सेस भी दिया जाता है. अब सवाल ये उठता है कि जब क्रेडिट कार्ड कंपनियां सब कुछ मुफ्त में ही दे रही हैं तो उनकी कमाई कैसे होती है? अगर आपने क्रेडिट कार्ड का ये खेल समझ लिया तो आपको क्रेडिट कार्ड हमेशा फायदे का सौदा लगेगा. वहीं अगर आप इसे नहीं समझ पाते हैं कि ये कंपनियां या बैंक पैसे कैसे कमाते हैं तो मुमकिन है कि आप भी हजारों-लाखों लोगों की तरह कर्ज के जाल (Debt Trap) में फंस जाएं.
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ऐसे होती है क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई
क्रेडिट कार्ड कंपनियां एक कर्ज देने वाले बिजनेस की तरह काम करती हैं. क्रेडिट का मतलब होता ही कर्ज है. यानी एक बात तो तय है कि इन कंपनियों को भी ब्याज से कुछ कमाई होती होगी. बता दें कि क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई के ब्याज के अलावा भी कई सोर्स हैं. आइए जानते हैं कैसे पैसे कमाती है कोई क्रेडिट कार्ड कंपनी.
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ब्याज से होती है तगड़ी कमाई
क्रेडिट कार्ड कंपनियों की सबसे ज्यादा कमाई होती है ब्याज से. बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं तो अपने क्रेडिट कार्ड के बकाया को नहीं चुका पाते हैं और उस पर ब्याज लगता है. क्रेडिट कार्ड पर लगने वाला ब्याज भी 30 फीसदी से लेकर 50 फीसदी के बीच हो सकता है. कई बार लोग ईएमआई पर कुछ ब्याज देकर सामान खरीदते हैं, जिससे भी उनकी कमाई होती है. हालांकि, ईएमआई पर सामान खरीदने की सूरत में ब्याज दरें 10-20 फीसदी के बीच ही रहती हैं.
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कुछ लोग निकालते हैं क्रेडिट कार्ड से कैश
वहीं ऐसे भी बहुत सारे लोग हैं तो क्रेडिट कार्ड से कैश निकालते हैं और उन्हें भी भारी-भरकम ब्याज चुकाना पड़ता है. अब आप सोच रहे होंगे कि क्रेडिट कार्ड से कैश कौन निकालता होगा, लेकिन आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल अप्रैल से इस साल अप्रैल तक लोगों ने हर महीने 300-400 करोड़ रुपये निकाले हैं.
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कई लोग लेते हैं क्रेडिट कार्ड पर लोन
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इंटरचेंज इनकम
क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई का दूसरा तरीका है इंटरचेंज इनकम. जब भी कोई ग्राहक क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करता है तो मर्चेंट पर एक मर्चेंड डिस्काउंट रेट यानी एमडीआर फीस लगाई जाती है. यह फीस ट्रांजेक्शन वैल्यू की 1-3 फीसदी के बीच होती है. एमडीआर फीस को कई पार्टियों के बीच बांटा जाता है, जिनमें पेमेंट ईकोसिस्टम, कार्ड ट्रांजेक्शन प्रोसेस करने वाला बैंक और कार्ड नेटवर्क शामिल होते हैं. इसमें कार्ड जारी करने वाली कंपनी की तरफ से एक इंटरचेंज फीस लगाई जाती है तो कुल एमडीआर का सबसे बड़ा हिस्सा होती है.
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मेंबरशिप फीस
कई क्रेडिट कार्ड कंपनियां अपने ग्राहकों से एक मेंबरशिप फीस भी लेती हैं. यह फीस कुछ बैंक एक निश्चित सीमा तक ट्रांजेक्शन के बाद ग्राहकों को वापस कर देते हैं, लेकिन कुछ बैंक ऐसा नहीं करते हैं. इसे कई बैंक एनुअल फीस भी कहते हैं. ऐसे में मेंबरशिप फीस भी क्रेडिट कार्ड कंपनियों की कमाई का एक हिस्सा होती है. क्रेडिट कार्ड पर जितने ज्यादा बेनेफिट होते हैं, उस पर लगने वाली फीस उतनी ही अधिक होती है.
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