आपके पास अगर एकमुश्‍त रकम है और आप उसकी FD यानी Fixed Deposit कराना चाहते हैं तो किसी भी बैंक में या पोस्‍ट ऑफिस में करवा सकते हैं. FD में आपको 7 दिन से लेकर 10 साल तक के टेन्‍योर का ऑप्‍शन मिलता है. लेकिन फायदे के लिहाज से Long Term या Short Term किस तरह की FD में पैसा लगाया जाए, इस सवाल को लेकर आप भी हैं कन्‍फ्यूज तो यहां जान सकते हैं इसका जवाब.

क्‍या करना चाहिए?

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छोटी अवधि की एफडी में समस्‍या ये है कि बैंक बहुत बेहतर ब्‍याज दर ऑफर नहीं करते और अगर करते भी हैं तो टेन्‍योर कम होने के कारण बहुत बड़ा फायदा नहीं मिल पाता. वहीं अगर आप 5 से 10 साल की लॉन्‍ग टर्म एफडी में रकम इन्‍वेस्‍ट करते हैं, तो ऐसे में दिमाग में ये सवाल बना रहता है कि बीच में अगर एफडी की ब्‍याज दर बढ़ गई तो उसका फायदा आपको नहीं मिल पाएगा. ऐसे में सबसे बेहतर है कि आप मिड टर्म एफडी जिसका टेन्‍योर 2-3 साल होता है, उसमें निवेश करें.

मिड टर्म एफडी पर तमाम बैंकों में काफी अच्‍छे ब्‍याज दर ऑफर किए जा रहे हैं. इसमें टेन्‍योर बहुत कम भी नहीं होता और बहुत ज्‍यादा भी नहीं होता. इसलिए आपका पैसा बहुत लंबे समय के लिए नहीं फंसता और आपसे बेहतर इन्वेस्टमेंट का कोई मौका भी नहीं छूटता है. वहीं अगर आपके पास ज्‍यादा पैसा है और आप उसे एफडी में ही लगाना चाहते हैं तो आप शॉर्ट टर्म, मिड टर्म और लॉन्‍ग टर्म (5 साल तक की) अलग-अलग टेन्‍योर की एफडी में पैसा लगा सकते हैं. अगर आप सिर्फ लॉन्‍ग टर्म FD में पैसा लगाना चाहते हैं तो तब ही लगाएं, जब आपको ये अच्छे से पता हो कि इस वक्त ब्याज दरें अपने उच्चतम स्तर पर हैं.

क्‍या हैं FD के फायदे

  • आपका निवेश सुरक्षित माना जाता है और आपको गारंटीड रिटर्न मिलता है.
  • तमाम एफडी पर आपको लोन या ओवरड्राफ्ट की सुविधा मिल जाती है. ऐसे में अगर आपको बीच में पैसों की जरूरत हो तो एफडी नहीं तुड़वानी पड़ती.
  • बैंक एफडी पर डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) का इंश्योरेंस कवर मिलता है. अगर आपका बैंक डिफॉल्ट कर देता है या दिवालिया हो जाता है तो आपको इस इंश्योरेंस कवर के तहत 5 लाख रुपए तक मिल जाएंगे. यानी बैंक में आपका 5 लाख तक का डिपॉजिट सिक्‍योर होता है.
  • 5 साल या उससे अधिक समय के लिए एफडी करते हैं तो उस पर आयकर कानून-1961 की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. इसे Tax Free FD कहा जाता है.

FD के ड्रॉबैक भी जानें

  • रिटर्न के लिहाज से देखें तो आपको एफडी से बेहतर ऑप्‍शंस मिल सकते हैं. इसलिए एफडी को बेस्‍ट ऑप्‍शन नहीं कहा जा सकता.
  • आमतौर पर एफडी फिक्‍स रेट्स वाली होती है मतलब जिस इंटरेस्‍ट रेट के साथ आपने शुरू किया, आपका मुनाफा उसी ब्‍याज के साथ कैलकुलेट होगा.
  • पैसों की जरूरत पड़ने पर अगर आपने एफडी को मैच्‍योरिटी से पहले तुड़वाया तो आपको इस पर पेनल्‍टी देनी पड़ती है.
  • एफडी का रिटर्न महंगाई को मात देने वाला नहीं होता. 5 साल से कम समय की एफडी पर आपको जो ब्याज मिलता है, वो टैक्स के दायरे में आता है.