Home Loan: आजकल घर खरीदने के लिए लोग होम लोन लेते हैं. होम लोन के तौर पर ज्‍यादातर लोग बड़ी रकम बैंक से लेते हैं और इसे ईएमआई के जरिए चुकाते हैं. लोन ली हुई रकम पर कितनी ईएमआई बनेगी, ये उस राशि पर और लोन के टेन्‍योर पर निर्भर करता है. जितने लंबे टेन्‍योर का लोन होता है, EMI उतनी छोटी हो जाती है. EMI छोटी रखने के चक्‍कर में तमाम लोग लंबे टेन्‍योर लंबा करवा देते हैं. 

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वहीं कई बार होम लोन की ब्‍याज दरें बढ़ने पर बैंक अपने आप आपके टेन्‍योर को बढ़ा देते हैं. इसका फायदा ये होता है कि आप पर बढ़ी हुई ईएमआई का लोड नहीं आता. जितनी ईएमआई पहले से चल रही है, वही चलती रहती है. लेकिन लोन चुकाने की जिम्‍मेदारी और लंबे समय तक खिंच जाती है. ऐसे में क्‍या किया जाए. होम लोन के मामले में लोन टेन्‍योर को बढ़वाना चाहिए या EMI को बढ़वाना चाहिए? कौन सा फैसला आपके लिए सही साबित होगा? यहां जानिए-

समझिए लोन टेन्‍योर लंबा होने पर क्‍या है नुकसान

लंबे समय का होम लोन लेने से आपकी ईएमआई तो छोटी हो जाती है, लेकिन आपको इसके बदले अच्‍छा खासा ब्‍याज चुकाना पड़ता है. इसे उदाहरण से ऐसे समझें-

मान लीजिए आप SBI से 30 लाख रुपए होम लोन 15 सालों के लिए लेते हैं और इस पर 9.55% ब्‍याज लगाया जाता है तो आपकी मासिक ईएमआई 31417 रुपए होगी. लोन की रकम पर 26,55,117 रुपए आपको सिर्फ ब्‍याज के तौर पर चुकाने होंगे, इस तरह आप ब्‍याज और प्रिंसिपल अमाउंट मिलाकर कुल 56,55,117 रुपए चुकाएंगे.

वहीं 30 लाख का लोन अगर आप 30 सालों के लिए लेंगे तो EMI घटकर 25,335 रुपए रह जाएगी. लेकिन 9.55 फीसदी ब्‍याज के हिसाब से 30 सालों में आपको 61,20,651 रुपए ब्‍याज के तौर पर देने होंगे. इसमें प्रिंसिपल अमाउंट को भी मिला दिया जाए तो आप कुल मिलाकर 91,20,651 रुपए 30 सालों में चुकाएंगे, जो आपके लोन की रकम का तीन गुना होगा. 

लंबे टेन्‍योर को कैसे कम करवाएं

लोन टेन्‍योर लंबा होने से कितना बड़ा नुकसान है, ये तो आप समझ ही गए होंगे. इसलिए अगर आपने लंबे टेन्‍योर के लिए लोन लिया है या फिर बैंक ने आपके टेन्‍योर को बढ़ा दिया है तो इस स्थिति में आप अपने टेन्‍योर को कम करवा सकते हैं. इसका एक तरीका है कि आप अपनी EMI को बढ़वा दें. लेकिन इसके लिए आपको पहले अपनी पॉकेट को जांचना होगा. मतलब ये देखना होगा कि क्‍या आप बढ़ी हुई ईएमआई के बोझ को उठा पाएंगे? अगर आप ऐसा कर सकते हैं, तो ईएमआई को बढ़वाएं और लोन टेन्‍योर कम करवाएं.

दूसरा तरीका है प्रीपेमेंट. अगर आप ज्‍यादा बड़ी ईएमआई का बोझ नहीं उठा सकते तो लोन के बीच-बीच में एकमुश्‍त राशि का भुगतान करें. इससे आपका प्रिंसिपल अमाउंट कम होगा. जब आपका प्रिंसिपल अमाउंट इतना कम हो जाए कि आप कम टेन्‍योर के साथ भी उसकी ईएमआई का लोड आसानी से ले सकें, तब आप बैंक से लोन की रीस्‍ट्रक्‍चरिंग करवाकर अपनी ईएमआई को बढ़वा सकते हैं और लोन टेन्‍योर को कम करवा सकते हैं.