Bank FD पर कैसे होती है ब्याज की कैलकुलेशन, क्या होता है पीरियॉडिक इंटरेस्ट पेआउट? कैसे मिलता है तगड़ा रिटर्न
Bank FD: बैंक एफडी से जुड़ी बारीकियों को समझना भी जरूरी है. इसमें सबसे जरूरी ये जानना है कि बैंक आपके अकाउंट में ब्याज (Interest) कब क्रेडिट करता है.
Bank FD: बैंक एफडी (Bank FD) को निवेश का सबसे सुरक्षित तरीका माना जाता है. हालांकि, बैंक एफडी से जुड़ी बारीकियों को समझना भी जरूरी है. इसमें सबसे जरूरी ये जानना है कि बैंक आपके अकाउंट में ब्याज (Interest) कब क्रेडिट करता है. मतलब ब्याज पर ब्याज कब मिलना शुरू होता है, क्योंकि आपके पैसों की तेजी से ग्रोथ तभी शुरू होती है. बैंक FD दो तरह की होती हैं- पीरियॉडिक इंटरेस्ट पेआउट (Periodic Interest Payout) और क्युमुलेटिव डिपॉजिट (Cumulative deposit).
क्या होता है पीरियॉडिक इंटरेस्ट पेआउट? (What is Periodic Interest payout)
पीरियॉडिक इंटरेस्ट पेआउट का मतलब है कि आपकी जमा राशि पर मिलने वाला ब्याज एक नियमित समय पर आपको दे दिया जाएगा. आमतौर पर सीनियर सिटीजन इसे काफी पसंद करते हैं, क्योंकि उनका जमा धन बचा रहता है और नियमित अंतराल पर उन्हें खर्च के लिए पैसे भी मिलते रहते हैं. दूसरी तरफ क्युमुलेटिव डिपॉजिट (Cumulative deposit) में नियमित अंतराल में मिलने वाला ब्याज आपके मूलधन में जुड़ जाता है और आगे उस पर भी आपको ब्याज मिलने लगता है. इसे ही चक्रवृद्धि ब्याज (compound interest) कहते हैं. नई उम्र के निवेशक इसे पसंद करते हैं, क्योंकि उन्हें भविष्य की जरूरतों के लिए एक बड़ी धनराशि की जरूरत होती है.
क्युमुलेटिव डिपॉजिट या संचयी जमा
मान लीजिए अगर आप 10000 रुपए की Fixed deposit कराते हैं और इस पर 5% ब्याज मिल रहा है.अब सवाल ये है कि ये ब्याज आपके मूल धन में किस अंतराल पर जुड़ेगा. ये अंतराल जितना कम होगा, आपकी कुल राशि उतनी ही ज्यादा होगी. जैसे सामान्य ब्याज के हिसाब से 3 साल में आपको 1608 रुपए ब्याज मिलेंगे और आपकी कुल राशि होगी 11608 रुपए. लेकिन अगर ब्याज तिमाही आधार पर जोड़ा जा रहा है तो आपको तीन साल पूरे होने पर 11,500 रुपए मिलेंगे. यानी 1500 रुपए ज्यादा. इसी तरह FD पर ब्याज मासिक आधार पर मूलधन में जुड़े तो 3 साल बाद कुल राशि होगी 1608 रुपए होगी.
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कैसे होती है साधारण ब्याज की कैल्कुलेशन?
साधारण ब्याज की कैल्कुलेशन का फॉर्मूला होता है- P+(P x R x T/100)= M
P का मतलब है प्रिंसिपल अमाउंट यानी मूलधन- जो पैसा आपने निवेश किया है.
R का मतलब ब्याज दर होता है.
T का मतलब होता है वह समय अवधि, जितने साल के लिए आपने FD कराई है.
M का मतलब मेच्योरिटी अमाउंट है.
उदाहरण से समझें- मान लीजिए कि 5 लाख रुपए 5 साल के लिए FD में डाले, जिस पर आपको 5.4 फीसदी की दर से साधारण ब्याज मिल रहा है. ऐसे में कैल्कुलेशन से आपको मेच्योरिटी पर 6,35,000 रुपए मिलेंगे.
5,00,000+(5,00,000x5.4x5/100)= 6,35,000
सिंपल इंस्ट्रेस्ट में आपको 5 लाख रुपए निवेश करने पर उस पर 1,35,000 रुपए के करीब ब्याज मिलेगा.
कैसे होती है कंपाउंडिंग इंस्ट्रेस्ट की गणना?
कंपाउंडिंग इंस्ट्रेस्ट का फॉर्मूला होता है P (1+r/n) ^ (n * t) = M
यहां P का मतलब है प्रिंसिपल अमाउंट यानी मूलधन- जो पैसा आपने निवेश किया है.
R का मतलब ब्याज दर होता है.
N का मतलब एक साल में कितनी बार कंपाउंडिंग होती है.
T का मतलब होता है वह समय अवधि, जितने साल के लिए आपने FD कराई है.
M का मतलब मेच्योरिटी अमाउंट है.
कैल्कुलेशन कुछ ऐसी होगी-
5,00,000 {1+(5/4)}^ (4*5) = 6,41,019 रुपए
कंपाउंडिंग इंस्ट्रेस्ट में आपको 5 लाख रुपए निवेश करने पर उस पर 1,41,019 रुपए के करीब ब्याज मिलेगा.