कोविड-19 संक्रमण (Covid-19 Pandemic) के चलते लोग अब नकद लेन-देन (Cash Transaction) कम कर रहे हैं. डिजिटल ट्रांजेक्शन (Digital Payment) या फिर चेक (Cheque Transaction) से रुपयों का लेन-देन किया जा रहा है. बैंक भी इन दिनों कैश में ट्रांजेक्शन से बचने की सलाह दे रहे हैं. चेक या डिजिटल ट्रांसजेक्शन आसान होता है और इसमें बहुत फायदे हैं, लेकिन जरा सी लापरवाही या गलती हमें बड़ा नुकसान भी पहुंचा सकती है. 

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चेक के कैंसिल (cheque bounce) होने पर बैंक जुर्माना वसूलता है और इससे खाताधारक की छवि भी खराब होती है. चेक का कैंसिल होना आपराधिक श्रेणी में आता है. चेक रद्द होने पर चेक जारी करने वाले के खिलाफ आईपीसी की धारा 138 के तहत कार्रवाई की जाती है. 

यहां आपको चेक से लेन-देन के समय होने वाली गलतियां, उनके नुकसान और बचाव के बारे में बता रहे हैं.

यह तो सामान्य बात है कि चेक में कहीं भी किसी तरह की कोई कटिंग नहीं होनी चाहिए. चेक साफ-सुथरा और स्पष्ट शब्दों में लिखा होना चाहिए. तुड़ा-मुड़ा या कटे-फटे चेक को बैंक कैंसिल कर देता है. 

चेक पर दर्ज तारीख के 3 महीने तक ही चेक मान्य होता है. इसलिए चेक से लेन-देन करते समय तारीख का खास ख्याल रखें. 

ध्यान रखें कि जिस व्यक्ति के नाम आप चेक काट रहे हैं, उसका बैंक खाता वाला नाम आपको पता होना चाहिए. नाम साफ शब्दों में लिखा हुआ होना चाहिए.

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चेक में रकम दर्ज करते समय तो खास सावधानी बरतें. अमाउंट शब्दों और अंकों, दोनों में लिखी जाता है. इसलिए अंकों और शब्दों में पैसे एक समान होने होने चाहिए. इससे यह फायदा होगा कि अगर कोई हेरा-फेरी करना भी चाहेगा तो नहीं कर सकता. 

- चेक में अंकों और शब्दों में रकम दर्ज करने के बाद यह ( /- ) निशान जरूर डालें. 

- रकम दर्ज करते समय अंत में 'रुपये' भी जरूर लिखें. 

- चेक देते समय बैंक खाते का बैलेंस जरूर जांच लें. बैलेंस से ज्यादा रकम का चेक बाउंस हो जाएगा. और उस पर जुर्माना लगेगा. 

- चेक के रद्द होने पर जुर्माने के साथ-साथ सजा भी हो सकती है. चेक का रद्द होना नियमों के उल्लंघन में एक आपराधिक श्रेणी में किया गया कार्य माना जाता है. 

- किसी व्यक्ति या संस्था के नाम से चेक जारी कर रहे हैं तो उस पर तिरछी रेखा खींच दें. ऐसा चेक अकाउंट पेई माना जाता है और चेक संबंधित व्यक्ति या संस्था के खाते में जमा होता है.

 चेक का कैंसिल होना आपराधिक श्रेणी में आता है. चेक रद्द होने पर चेक जारी करने वाले के खिलाफ आईपीसी की धारा 138 के तहत कार्रवाई की जाती है. इसके तहत दोषी व्यक्ति को 2 साल की जेल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों ही सजा हो सकती हैं.