Air Traffic Control System:  शुक्रवार को आसमान में एक बड़ा हादसा टल गया.  नेपाल एयरलाइन्स का एयरबस A-320 एयरक्राफ्ट  और एयर इंडिया का विमान आपस में टकराने से बाल-बाल बचे. इसके बाद सिविल एविएशन अथॉरिटी ऑफ नेपाल ने कंट्रोल रूम में मौजूद तीन लोगों को निलंबित कर दिया है. बीच आसमान में विमानों को एक्सीडेंट से बचाने के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोलर की बड़ी भूमिका होती है. एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम ही उड़ान और लैंडिंग के दौरान हवाई जहाज को रास्ता दिखाता है. 

मौसमी की खराबी की देता है जानकारी

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एयर ट्रैफिक कंट्रोलर विमान रडार के जरिए और टावर की खिड़कियों से आसमान के ट्रैफिक पर नजर रखता है. यदि किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी होती है तो तुरंत पायलट को सूचित किया जाता है. एयर ट्रैफिक कंट्रोल के जरिए सुरक्षा दलों को भी अलर्ट किया जाता है. वहीं, मौसम की खराबी, रनवे का बंद होना समेत कई अहम जानकारियां पायलट के साथ साझा करने की जिम्मेदारी भी एयर ट्रैफिक कंट्रोलर की ही होती है. 

ऐसे काम करता है एयर ट्रैफिक कंट्रोल

एयर ट्रैफिक कंट्रोलर आसमान में दो विमानों के टकराव को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.  एयर ट्रैफिक कंट्रोलर हवाईअड्डे के कर्मचारियों और पायलट के बीच संचार भी स्थापित करता है.आपात स्थिति में हवाई अड्डे के स्टाफ को भी ATC सतर्क करता है. एयरपोर्ट में मौजूद एयर ट्रैफिक कंट्रोल में एंटीना, डिप्लेक्सर, फेज लॉक लूप रिसीवर और प्रोसेसिंग लगा होता है.इनमें से छोटी-छोटी वेव निकलती है ये प्लेन से टकराती है और वापस एयर ट्रैफिक कंट्रोल के पास जाती है. इससे पता चलता है कि हवाई जहाज सही दिशा में उड़ रहा है या नहीं. 

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विमान के गलत दिशा में उड़ने पर तुरंत एयर ट्रैफिक कंट्रोल को सूचित किया जाता है. आपको बता दें कि भारत में पिछले 5 साल में करीब 162 बार आसमान में विमान आपस टकराने से बचे. हर साल औसतन 32 ऐसी घटनाएं होती है.