ECB Rate Hike: यूरोपीय केंद्रीय बैंक ने 11 साल में पहली बार ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला किया है. 11 साल में पहली बार यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने नीतिगत दर में 0.50 फीसदी की दर से ब्याज दरों में इजाफा किया है. ब्याज दरों में ये तेजी उम्मीद से ज्यादा है. इसके साथ ही ईसीबी (ECB) अब अमेरिकी फेडरल रिजर्व और दुनिया के दूसरे प्रमुख देशों के केंद्रीय बैंकों की लाइन में आ गया है, जिन्होंने महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों को और बढ़ा दिया है. बता दें कि केंद्रीय बैंक के इस फैसले के बाद से कर्ज और महंगा हो जाएगा. 

बॉन्ड खरीद प्रोग्राम को किया लॉन्च

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ब्याज दरों में बढ़ोतरी के साथ यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने एक नया बॉन्ड खरीद प्रोग्राम को भी लॉन्च किया है. इसका लक्ष्य यूरो जोन (Euro Zone) के सबसे ज्यादा कर्ज में डूब देशों के लिए उधार की लागत को कंट्रोल में करना है. 

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ईसीबी की ओर से ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करना पिछली बैठक में दिए गए संकेत के मुकाबले उसका दोगुना है. ईसीबी के 11 साल में पहली बार रेट बढ़ाने के बाद शेयर बाजार और बॉन्ड मार्केट में गिरावट देखने को मिली है. 

कर्ज हो सकता है महंगा

केंद्रीय बैंक के इस कदम से कर्ज महंगा होगा. इससे यह सवाल उठने लगे हैं कि ब्याज दर बढ़ाने की जो होड़ है, क्या उससे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मंदी की चपेट में नहीं आएंगी? कर्ज सस्ता होने से लोग खाने का सामान, ईंधन और अन्य चीजों पर अधिक खर्च करते हैं.

यूरो मुद्रा का उपयोग करने वाले 19 देशों के लिए प्रमुख ब्याज दर में आधा प्रतिशत की वृद्धि के बाद सितंबर में भी मौद्रिक नीति समीक्षा में इतनी ही और बढ़ोतरी की संभावना है. ईसीबी ने कहा कि मुद्रास्फीति के जोखिम को देखते हुए नीतिगत दर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि बिल्कुल जायज है. इसका मतलब है कि बैंकों में अब ब्याज दर बढ़ेगी जो अबतक नकारात्मक थी.

रूस-यूक्रेन युद्ध का असर 

ईसीबी की अध्यक्ष क्रिस्टीन लेगार्ड ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आर्थिक गतिविधियां धीमी हो रही हैं. रूस का यूक्रेन पर हमले का असर वृद्धि पर पड़ा है. उन्होंने कहा कि ऊंची महंगाई के क्रय शक्ति पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव, आपूर्ति के मोर्चे पर बाधाएं जारी रहने और अनिश्चिता बने रहने से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इन कारणों से 2022 की दूसरी छमाही और उसके बाद का परिदृश्य धुंधला जान पड़ रहा है.