चीन ने चली यह 'चाल', जासूसी के लिए कार कंपनियों को बनाया हथियार
चीन प्रदूषण कम करने के लिए इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा दे रहा है. लेकिन इसके पीछे उसकी गहरी चाल है. ऐसा दावा एक मीडिया रिपोर्ट में किया गया है.
चीन प्रदूषण कम करने के लिए इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा दे रहा है. लेकिन इसके पीछे उसकी गहरी चाल है. ऐसा दावा एक मीडिया रिपोर्ट में किया गया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वह कई साल से ऑटो निर्माता कंपनियों से कथित तौर पर कारों की लोकेशन का डाटा लेकर अपने पास इकट्ठा कर रहा है. इस बारे में कार मालिक को जरा भी खबर नहीं है. डाटा का कंट्रोल कई चीनी अधिकारियों और संस्थानों के पास है. आपको बता दें कि चीन दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता देश है.
200 कार कंपनियां दे रहीं चीनी सरकार को डाटा
द वर्ज की रिपोर्ट के अनुसार 200 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार मैन्युफैक्चरर चीनी सरकार समर्थित निगरानी केंद्रों को कार की लोकेशन का डाटा उपलब्ध करा रही हैं. 'द शंघाई इलेक्ट्रिक व्हीकल पब्लिक डाटा कलेक्टिंग, मॉनिटरिंग एंड रिसर्च सेंटर' नामक रिपोर्ट एक समाचार एजेंसी के हाथ लगी है, जिससे चीन की जासूसी कराने के लिए तरीके का खुलासा हुआ है. चीन ने एक और रिपोर्ट तैयार कराई है जिसका नाम 'नेशनल बिग डाटा अलायंस ऑफ न्यू एनर्जी व्हीकल्स' है. इसमें भी कारों की लोकेशन का डाटा है.
चीनी अधिकारियों ने कहा-डाटा पब्लिक सेफ्टी के लिए कर रहे इकट्ठा
चीनी अधिकारियों ने बताया कि यह डाटा पब्लिक सेफ्टी के लिए इकट्ठा किया जा रहा है. इसमें कारों की रियल टाइम लोकेशन का डाटा है. साथ ही कई अन्य डाटा भी हैं. अधिकारियों ने डाटा इकट्ठा करने की एक और वजह यह बताई कि इसके जरिए सरकार की कोशिश धोखाधड़ी रोकना है. चीनी सरकार नए इलेक्ट्रिक वाहनों पर काफी सब्सिडी भी दे रही है. यह डाटा 2017 से इकट्ठा किया जा रहा है.
डाटा मोनिटरिंग केंद्रों को है पूरा एक्सेस
डाटा मोनिटरिंग केंद्र के स्टाफरों को हरेक कार का पूरा एक्सेस मिला हुआ है. वे किसी भी कंपनी की कार पर क्लिक कर उसका मेक, मॉडल, माइलेज और बैटरी चार्ज तक चेक कर लेते हैं.
कार कंपनियों ने कहा-कारोबार के लिए शर्त मानना जरूरी
मर्सिडीज बेंज की पेरेंट कंपनी डायमलर ने कहा कि कंपनियां ट्रैकिंग का डाटा चीनी सरकार के साथ साझा कर रही हैं. फॉक्सवैगन की ओर से भी यही जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है. फोर्ड ने इस बारे में टिप्पणी से इनकार किया है. निसान, बीएमडब्ल्यू और टेस्ला ने भी बयान देने से मना किया. कार कंपनियों का कहना है कि वे अपने कारोबार को चीन में बरकरार रखने के लिए ऐसा कर रही हैं.
कंपनियों के सामने क्या है मजबूरी
कार निर्माता कंपनियों को चीन में कारोबार शुरू करने के लिए वहां की लोकल कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम लगाना होता है. तभी उन्हें चीन में कारोबार की मंजूरी मिलती है.