पिछले दो वर्षों के दौरान दुनिया के किसी भी हिस्से के मुकाबले चीन के शेयर बाजार में सबसे अधिक गिरावट देखने को मिली है और उसकी मु्द्रा युवान पिछले दो साल के निचले स्तर पर है. इसके साथ ही चीन की सरकार पर बाजार की गिरावट को थामने का दबाव बढ़ गया है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बाजार में बिकवाली का दबाव इतना अधिक है कि सरकार द्वारा सेंटिमेंट को बहाल करने के उपाए कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. ब्लूमबर्ग के मुताबिक शंघाई कंपोजिट दुनिया में सबसे बुरा प्रदर्शन करने वाला शेयर बाजार है. चीन का शेयर बाजार इस साल जनवरी के उच्चतम स्तर से अब तक करीब 30 प्रतिशत गिर चुका है. जबकि इस दौरान दुनिया के सभी शेयर बाजारों में मिलाकर औसतन 8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. शंघाई कंपोजिट नवंबर 2014 से सबसे निचले स्तर पर है.

चीन की मुद्रा युवान में भी तेज गिरावट दर्ज की गई है और ये जनवरी 2017 से अपने निम्नतम स्तर पर है. इस साल मई में एक डॉलर की कीमत 6.2 युवान के बराबर थी, वहीं अक्टूबर में ये आंकड़ा बढ़कर 6.9 युवान हो गया.

चीन के नीति निर्माताओं को वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है. अर्थव्यवस्था को विकास दर में कमी, अमेरिका के साथ ट्रेड वार और अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की चुनौती से जूझना पड़ रहा है. संकट इतना ही नहीं है, 603 अरब अमेरिकी डॉलर कीमत के शेयर लोन के बदले गिरवी हैं, जो चीन के कुल बाजार पूंजीकरण का 11 प्रतिशत है.