कमाल की इमोशनल कहानी: क्यों इन्हीं के रेस्टोरेंट के कबाब खाकर इंटरव्यू देने जाते हैं पेशेवर ?
रेस्टोरेंट मालिक को लोगों को ऐसी विषम परिस्थिति जब उनके हाथ में नौकरी नहीं होती, तो उनको इस छोटी सी मदद कर संतोष और खुशी मिलती है.
शहर का एक ऐसा रेस्टोरेंट जहां नौकरी की तलाश में घूम रहे युवाओं या लोगों को पैसे न रहने पर भी खाना खिलाया जाता है. उनसे ये कहा जाता है कि आप नियमित तौर पर यहां खाना खाएं और जब आपकी नौकरी लग जाए तो पैसे चुका देना. साथ ही ये रेस्टोरेंट ने यह भी अपील कर रखा है कि बिना पैसे दिए खाना खाने को लेकर शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है. आप इसे चैरिटी न समझें, आप हो सके तो बाद में पैसे देने आ सकते हैं. दुबई में वर्ष 2017 में बेरोजगारी का प्रतिशत एक सर्वे के मुताबिक 0.5 प्रतिशत था.
The Kebab Shop के नाम से दुबई में चलने वाले इस रेस्टोरेंट को पाकिस्तानी मूल के मालिक कमाल रिजवी चलाते हैं. उनके मुताबिक यह एक तरह का सामाजिक कार्य है. उनका मानना है कि लोगों को ऐसी विषम परिस्थिति जब उनके हाथ में नौकरी नहीं होती, तो उनको इस छोटी सी मदद कर मुझे संतोष और खुशी मिलती है.
एक घटना ने किया प्रेरित
रिजवी कहते हैं कि रेस्टोरेंट में ऐेसे लोगों को इस तरह खिलाने की वजह भी एक छोटी सी घटना थी. हमारे रेस्टोंरेंट में कुछ लोग लगातार खाना खाने रोज आते थे, खाने के साथ वो यहां बातचीत करते थे और अच्छा समय बिताते थे. उनके लिए यह एक तरह से दूसरा घर था. मैंनें देखा कि उनमें से एक ने आना बंद कर दिया. जब मैंने उनसे इस बारे में जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि उसकी नौकरी छूट गई है और उसके पास पैसे नहीं हैं. मैं यह सुनकर उदास हो गया. मैंने उनलोगों से अपने दोस्त को रोज साथ लाने को कहा और उनसे बोला कि हर रोज की तरह वो आएं और यहां खाना खाएं. इसे आप चैरिटी न समझें, बल्कि इस एक तरह को लोन समझ लें. जब आपकी नौकरी लग जाए आप पैसे दे देना.
इस अपील के बाद उस शख्स ने फिर आना शुरू कर दिया और फिर वो पहले की तरह साथ खाते और खुश होते थे. इस घटना ने ही मुझे इस तरह का काम करने की प्रेरणा दी. इससे मुझे यह अनुभव हुआ कि न जाने इसकी तरह कितने लोग इस तरह मजबूर होंगे. रिजवी ने अपने रेस्टोरेंट के सामने इसके लिए बोर्ड भी लगा रखा है.
बदले में कोई कागजी प्रक्रिया नहीं
खलीज टाइम्स की खबर के मुताबिक, रेस्टोरेंट के मालिक रिजवी ने अपने कर्मचारियों से स्पष्ट कह रखा है कि कोई भी इंसान जो यहां मुफ्त खाना चाहता है उससे किसी तरह का दस्तावेज न मांगा जाए. कर्मचारी ऐसे लोगों से सिर्फ यह पूछते कि आप क्या खाना चाहते हैं. रिजवी लोगों के आने के बारे में बताते हैं कि अक्सर लोग अचानक आ जाते हैं, समूह में अधिकांश लोग बार-बार खाने नहीं आते. ऐसे जरूरतमंद लोग आकर रेस्टोरेंट में एक तरफ बैठ जाते हैं और हम उन्हें बाकी ग्राहकों की तरह खाना खिलाते हैं. उनमें से कई लोग इतने कृतज्ञ होते हैं कि वह नैपकिन पर धन्यवाद लिखकर टेबल पर छोड़ जाते हैं.
बिना पैसे दिए खाने वालों का नहीं रखते रिकॉर्ड
The Kebab Shop रेस्टोरेंट में बिना पैसे दिए खाना खाने वालों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है. रिजवी से जब पूछा गया कि लोग सच में पैसे चुकाने बाद में आते हैं? उन्होंने कहा कि कुछ चंद लोगों को छोड़ अधिकांश लोग हमारे पास वापस आते हैं और हमें कहते हैं कि हमें आपको कितनी रकम देनी है. हम इस पर बस इतना कहते हैं कि आपके मन में जो आए दे दो, क्योंकि हम आपका रिकॉर्ड नहीं रखते. रिजवी का कहना है कि मुझे इस सेवा से काफी सुकून और खुशी मिलती है. यह मेरे कारोबार पर भी ज्यादा असर नहीं डालता. उनका कहना है कि ऊपर वाले ने उन्हें काफी कुछ दे रखा है. किसी बात की कमी नहीं है. उनका कहना है कि और हर जगह कुछ रेस्टोरेंट को इस तरह की पहल करनी चाहिए. इससे कई भूखे लोगों का पेट भर सकता है.