आज के समय में अल्‍जाइमर की समस्‍या तेजी से बढ़ रही है. ये एक न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें याद्दाश्‍त इतनी कमजोर हो जाती है कि उसे रोजमर्रा की चीजें यहां तक कि लोगों के नाम याद रखने में भी कठिनाई होती है. ये समस्‍या एक बार हो जाए, तो इसका प्रभाव तेजी से बढ़ता जाता है. अल्‍जाइमर को डिमेंशिया के बड़े कारणों में से एक माना जाता है. डिमेंशिया की स्थिति में पहुंचने के बाद व्‍यक्ति की याद्दाश्‍त प्रभावित होने के साथ उसकी भाषा और सोच भी प्रभावित होने लगती है. आमतौर पर अल्‍जाइमर की समस्‍या 60 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों के बीच देखने को मिलती है.

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इस रोग के प्रति लोगों को जागरुक करने के उद्देश्‍य से हर साल 21 सितंबर को विश्‍व अल्‍जाइमर दिवस मनाया जाता है. आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. रमाकांत शर्मा की मानें तो यदि व्‍यक्ति अपनी जीवनशैली को सुधार ले, तो इस समस्‍या को काफी हद तक टाला जा सकता है. तमाम मामलों में हमारी कुछ गलत आदतें भी इस रोग की वजह बन जाती हैं. आइए आपको बताते हैं, ऐसी कुछ गलत आदतों के बारे में जो अल्‍जाइमर का रिस्‍क बढ़ाने वाली मानी जाती हैं. 

मोबाइल की लत

आज के समय में लोगों को मोबाइल की लत लग चुकी है. कोई भी शख्स मोबाइल को खुद से कुछ समय के लिए भी दूर नहीं रखना चाहता. यहां तक कि रात को सोते समय भी मोबाइल तकिए के नीचे रखकर सोते हैं. ऐसे में वे हर समय मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन के प्रभाव में रहते हैं. इससे उनकी याद्दाश्‍त पर बुरा असर पड़ता है और भूलने की समस्‍या होने लगती है.

मल्टी टास्क

इस डिजिटल दुनिया में हर किसी को मल्टी टास्क करने की आदत हो गई है. मल्‍टी टास्‍क की ये आदत आपको बेशक फायदेमंद लगती हो, लेकिन इससे आपकी एकाग्रता में कमी आती है और याद्दाश्‍त कमजोर होती है. समय रहते इस पर ध्‍यान न दिया जाए तो आगे चलकर भूलने की यही आदत अल्‍जाइमर का कारण बन सकती है.

नींद पूरी न होना

हर किसी को रात में कम से कम सात से नौ घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए, लेकिन आजकल युवाओं के बीच देर रात तक जागने का एक कल्चर चल गया है.  इसका दिमाग पर बुरा असर पड़ता है और किसी भी काम में आपका मन नहीं लगता. शरीर में एनर्जी नहीं होती और स्‍वभाव में चिड़चिड़ाहट बढ़ती है. साथ ही आए दिन सिरदर्द और भूलने की समस्‍या हो जाती है.

सिगरेट

सिगरेट की लत भी भूलने की बीमारी का एक कारण हैं. डॉ. रमाकांत शर्मा की मानें तो धूम्रपान की वजह से दिमाग की रक्त धमनियां संकरी हो जाती हैं और मस्तिष्क तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती. ऐसे में व्‍यक्ति के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है और उसे भूलने की दिक्‍कत होने लगती है.  

तनाव

आजकल वर्कप्रेशर इतना बढ़ गया है, कि इंसान खुद के लिए भी समय नहीं निकाल पाता. इसके अलावा परिवार और वर्कप्‍लेस के बीच सामन्‍जस्‍य बैठाना बहुत मुश्किल होता है, इस कारण ज्‍यादातर युवा तनाव से गुजरते हैं. तनाव बढ़ने से दिमाग का हिप्पोकैम्पस कमजोर हो जाता है जो याद रखने की क्षमता को कमजोर करता है.

हाइपोथायरायडिज्म

इसके अलावा हाइपोथायरायडिज्म की समस्‍या के दौरान पर्याप्त मात्रा में थायरॉइड हार्मोन नहीं बन पाता. ये समस्‍या खराब लाइफस्‍टाइल का नतीजा है.  दिमाग और सोच को नियंत्रण में रखने के लिए इसी हार्मोन को जिम्‍मेदार माना जाता है. इस हार्मोन के न बनने से लोग भूलने की बीमारी का शिकार होने लगते हैं.

बचाव के लिए बरतें ये सावधानियां

  • नियमित योग व एक्सरसाइज करें और तनाव से निपटने के लिए मेडिटेशन करें. रोजाना रात को खाने के आधे घंटे बाद कुछ देर जरूर टहलें.
  • लगातार काम करने से बचें. बीच बीच में दिमाग को थोड़ा आराम दें. कुछ देर के लिए टहल लें, इससे आप बेहतर फील करेंगे.
  • मोबाइल का सीमित प्रयोग करें. रात में सोते समय मोबाइल को खुद से दूर रखें और साइलेंट पर कर दें. इसके अलावा सुबह उठते ही मोबाइल न देखें, अन्‍य जरूरी काम निपटाएं.
  • डाइट में बादाम, ड्राई फ्रूट्स, हरी सब्जियां, साबुत अनाज, ग्रीन टी आदि को शामिल करें.
  • कुछ समय खुद के लिए निकालें और इसमें वो काम करें, जो करना आपको पसंद है और आपको इसे करने से सुकून मिलता हो.