इन दिनों देश में UPSC Lateral Entry को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है. मोदी सरकार ने लेटरल एंट्री के जरिए सीधे सीनियर IAS लेवल की 45 वैकेंसी निकाली हैं, इनमें जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर जैसे बड़े सरकारी पद शामिल हैं. लेटरल एंट्री पर विपक्ष Vs सरकार वाली स्थिति हो गई है. कांग्रेस, सपा, बसपा समेत तमाम विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं. अब इसको लेकर कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री जितेंद्र सिंह ने पीएम मोदी के निर्देशानुसार लेटरल एंट्री विज्ञापन रद्द करने के लिए यूपीएससी के प्रमुख को पत्र लिखा है और इसे फिलहाल टालने के लिए कहा है. आइए आपको बताते हैं कि क्‍या है पूरा मामला.

क्‍या है मामला

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यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन यानी UPSC ने 17 अगस्त को लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती के लिए 45 पोस्ट पर वैकेंसी निकाली थी. लेटरल एंट्री के लिए UPSC की ओर से जारी किए गए विज्ञापन में कहा गया कि उपर्युक्‍त पदों के लिए योग्य कैंडिडेट्स का चुनाव किया जाएगा, लेकिन आरक्षित सीटों का जिक्र नहीं किया गया. बस इसी से पूरा विवाद शुरू हुआ. 18 अगस्त को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसको लेकर एक पोस्‍ट लिखा कि लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती में आरक्षण लागू नहीं है. राहुल गांधी ने इसे 'देश विरोधी कदम' करार दिया और कहा कि इस भर्ती के जरिए खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का हक छीना जा रहा है. तभी से इसको लेकर विरोध शुरू हो गया. यूपीएससी में लेटरल एंट्री के जरिए नियुक्ति को लेकर जहां विपक्ष की ओर से सरकार की आलोचना की जा रही है, तो वहीं इन बयानों पर सरकार का भी पलटवार जारी है.

क्‍या है लेटरल एंट्री

लेटरल एंट्री के जरिए प्राइवेट क्षेत्र के एक्सपर्ट्स की केंद्र सरकार के मंत्रालयों में सीधी भर्ती की जाती है. ये भर्तियां जॉइंट सेक्रेट्री, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेट्री के पदों पर की जाती हैं. इसको लेकर कुछ नियम और शर्तें हैं जैसे- इसके लिए शामिल होने वालों की उम्र 45 साल होनी चाहिए और उनका एक्‍सपीरिएंस 15 साल होना चाहिए. लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती करने वालों में शैक्षणिक निकायों और विश्वविद्यालयों में काम करने वाले लोग शामिल नहीं हैं. 

लेटरल एंट्री को लेकर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इसमें आरक्षण लागू नहीं होगा. हालांकि इस मामले में सरकार का कहना है कि UPSC के जरिए निकाली गई वैकेंसी में भी आरक्षण के वो नियम लागू होंगे जो UPSC की किसी भी दूसरे परीक्षाओं में लागू होते हैं. बता दें कि किसी सरकारी विभाग में सचिव और अतिरिक्त सचिव के बाद संयुक्त सचिव का पद तीसरा सबसे बड़ा और ताकतवर पद है. संयुक्त सचिव अपने विभाग में प्रशासनिक प्रमुख के रूप में काम करते हैं. निदेशक संयुक्त सचिव से एक रैंक नीचे होता है और उप-सचिव निदेशक से एक रैंक नीचे होता है. संयुक्त सचिव वह पद है, जहां से किसी विभाग में फैसला लेने की प्रक्रिया शुरू होती है.

यूपीएससी प्रमुख को ये लिखा पत्र में

कार्मिक मंत्रालय के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस मामले को लेकर संघ लोकसेवा आयोग की प्रमुख प्रीति सुदान एक पत्र भेजा है. उन्‍होंने पत्र में लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक सेवा में आरक्षण के हिमायती हैं. हमारी सरकार सोशल जस्टिस को मजबूत करने को लेकर प्रतिबद्ध है, इसलिए हम आपसे अनुरोध करते हैं कि उन वैकेंसी का रिव्यू कर रद्द कर दिया जाए जिसे 17 अगस्त को यूपीएससी की ओर से जारी किया गया था.