बेटा और बेटी के बीच होते आ रहे भेदभावों को खत्‍म करने के‍ लिए दुनियाभर में तमाम कोशिशें की जा रही हैं. इन्‍हीं कोशिशों में से एक है 'Theybies' कल्‍चर. पिछले कुछ समय से ये कल्‍चर दुनियाभर में तेजी से पॉपुलर हो रहा है. बच्‍चों के बीच के फर्क को मिटाने के लिए पैरेंट्स इस Theybies कल्‍चर को अडॉप्‍ट कर रहे हैं. हालांकि भारत में अभी ज्‍यादा लोग इससे वाकिफ नहीं हैं. आइए आपको बताते हैं कि क्‍या है  'Theybies'.

क्‍या है 'Theybies'

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल 'Theybies' शब्‍द  दो शब्‍दों, दे (They) और बेबी (Baby) को मिलाकर बनाया गया है. इसका इस्‍तेमाल बच्‍चों के न्‍यूट्रल जेंडर के रूप में किया जाता है. मान लीजिए कि अगर किसी के घर में बेटे का जन्‍म होता है या बेटी का जन्‍म होता है, तो वो इसके लिए बेटा या बेटी शब्‍द का इस्‍तेमाल न करके, 'Theybies' शब्‍द का प्रयोग करके खुशखबरी देगा.

'Theybies' की ये भी खासियत

इसके अलावा 'Theybies' कल्‍चर की एक और खास बात ये है कि इसमें किसी विशेष चॉइस या काम को जेंडर के हिसाब से निर्धारित नहीं किया गया है. यानी लड़का है तो स्‍पाइडर मैन और गन वगैरह से खेलेगा और लड़की है तो गुड़‍िया या बर्तनों से खेलेगी. जेंडर के हिसाब से इस तरह की चॉइस को निर्धारित नहीं किया जाता है. बच्‍चों को उनकी पसंद के हिसाब से खेलने दिया जाता है. उन्‍हें समान रूप से सभी चीजें सिखाई जाती हैं.

क्‍यों अडॉप्‍ट किया जा रहा है ये कल्‍चर

अक्‍सर देखा जाता है कि तमाम क्षमताएं होने के बावजूद महिलाओं की क्षमताओं को कम आंका जाता है. सैलरी स्‍ट्रक्‍चर की बात हो या लीडिंग रोल की, आज भी वर्कप्‍लेस से लेकर तमाम जगहों पर महिलाओं के साथ भेदभाव देखने को मिल जाता है. 'Theybies' कल्‍चर इस भेदभाव को मिटाने की ही एक कवायद है. इस कल्‍चर के जरिए रूढ़‍िवादी सोच से बच्‍चों को बचाने, उनके बीच समानता लाने और उन्‍हें उनकी पसंद के हिसाब से जीवन जीने की आजादी देने का प्रयास किया जा रहा है.

क्‍या है इसका दूसरा पहलू

हर चीज को लेकर लोगों की अलग-अलग राय होती है.  'Theybies' कल्‍चर के मामले में भी कुछ ऐसा ही है. कुछ लोग इस कल्‍चर को लेकर सहमत नहीं हैं. कुछ लोगों का मानना है कि लड़का और लड़की दोनों को स्‍वाभाविक रूप से अलग-अलग कल्‍चर के हैं. ऐसे में अगर उनके लिए न्‍यूट्रल जेंडर का इस्‍तेमाल किया जाएगा, उनकी चॉइस वगैरह को भी एक जैसा बना दिया जाएगा तो इससे उनके व्‍यवहार में भी बदलाव होने की संभावना होगी. ऐसे में उनके सामने ये चुनौती होगी कि वे खुद को किस जेंडर में रखें.

 

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें