Ram Mandir: सोने के मुकुट से लेकर पैरों की पैजनियों तक... इन आभूषणों से हुआ है भगवान श्रीराम का श्रृंगार
Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या के राम मंदिर में भगवान श्रीराम के बाल रूप वाली प्रतिमा का सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा किया गया. आइए देखते हैं किन आभूषणों से भगवान का श्रृंगार किया गया है.
Ram Mandir Pran Pratishtha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की मौजूदगी में अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई. 84 सेकेंड के विशेष मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई. इस समारोह में फिल्मी कलाकारों, नेताओं, खिलाड़ियों के साथ करीब 8 हजार VIP मेहमान शामिल हुए हैं. 5 साल के बालक रूप में भगवान राम की प्रतिमा को देख भक्त भाव-विभोर हो गए. रामलला को सिर से लेकर पैर तक करीब 5 किलों के गहने और आभूषणों से सजाया गया है.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र (Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra) ने बताया कि अपने अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्री रामलला दिव्य आभूषणों और वस्त्रों से सुसज्जित होकर विराजमान हैं. भगवान श्रीराम को सजाए गए इन आभूषणों का निर्माण रामायण, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस तथा आलवन्दार स्तोत्र के अध्ययन के बाद किया गया है.
Gracing his grand abode, Prabhu Shri Ram Lalla radiates in divine ornaments and attire, a vision of spirituality and tradition.
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) January 22, 2024
The creation of these divine ornaments is based on extensive research and study following the descriptions of Shri Ram's scripturally appropriate… pic.twitter.com/acQ5nSew9F
कहां बनाए गए हैं ये आभूषण
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तीर्थ क्षेत्र ने बताया कि यतींद्र मिश्र की परिकल्पना से इन आभूषणों का निर्माण कुर आनन्द की संस्थान हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स, लखनऊ ने किया है. इसके अलावा, भगवान बनारसी वस्त्र की पीताम्बर धोती तथा लाल रंग के पटुके / अंगवस्त्रम में सुशोभित हैं. इन वस्त्रों पर शुद्ध स्वर्ण की ज़री और तारों से काम किया गया है, जिनमें वैष्णव मंगल चिन्ह- शंख, पद्म, चक्र और मयूर अंकित हैं. इन वस्त्रों का निर्माण श्री अयोध्या धाम में रहकर दिल्ली के वस्त्र सज्जाकार श्मनीष त्रिपाठी ने किया है.
किन आभूषणों से हुआ है रामलला का श्रृंगार?
शीष पर मुकुट या किरीट
यह उत्तर भारतीय परम्परा में स्वर्ण निर्मित है, जिसमें माणिक्य, पन्ना और हीरों से अलंकरण किया गया है. मुकुट के ठीक मध्य में भगवान सूर्य अंकित हैं. मुकुट के दायीं ओर मोतियों की लड़ियां पिरोई गयी हैं.
कुण्डल
मुकुट या किरीट के अनुरूप ही और उसी डिजाईन के क्रम में भगवान के कर्ण-आभूषण बनाए गए हैं, जिनमें मयूर आकृतियां बनी हैं और यह भी सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से सुशोभित है.
कण्ठा
गले में अर्द्धचन्द्राकार रत्नों से जड़ित कण्ठा सुशोभित है, जिसमें मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित हैं और मध्य में सूर्य देव बने हैं. सोने से बना हुआ यह कण्ठा हीरे, माणिक्य और पन्नों से जड़ा है. कण्ठे के नीचे पन्ने की लड़ियां लगाई गई हैं.
भगवान के हृदय
भगवान राम के हृदय में कौस्तुभमणि धारण कराया गया है, जिसे एक बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है. यह शास्त्र-विधान है कि भगवान विष्णु तथा उनके अवतार हृदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं. इसलिए इसे धारण कराया गया है.
पदिक
कण्ठ से नीचे तथा नाभिकमल से ऊपर पहनाया गया हार होता है, जिसका देवता अलंकरण में विशेष महत्त्व है. यह पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने का ऐसा पंचलड़ा है, जिसके नीचे एक बड़ा सा अलंकृत पेण्डेंट लगाया गया है.
वैजयन्ती या विजयमाल
यह भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लम्बा और स्वर्ण से निर्मित हार है, जिसमें कहीं-कहीं माणिक्य लगाये गयो हैं, इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है, जिसमें वैष्णव परम्परा के समस्त मंगल-चिन्ह सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल-कलश दर्शाया गया है. इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है, जो क्रमशः कमल, चम्पा, पारिजात, कुन्द और तुलसी हैं.
कमर में कांची या करधनी
भगवान के कमर में करधनी धारण करायी गयी है, जिसे रत्नजडित बनाया गया है. स्वर्ण पर निर्मित इसमें प्राकृतिक सुषमा का अंकन है, और हीरे, माणिक्य, मोतियों और पन्ने से यह अलंकृत है. पवित्रता का बोध कराने वाली छोटी-छोटी पाँच घण्टियों भी इसमें लगाई गई है. इन घण्टियों से मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियों भी लटक रही हैं.
भुजबन्ध या अंगद
भगवान की दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रत्नों से जड़ित मुजबन्ध पहनायो गए हैं.
कंकण/कंगन
दोनों ही हाथों में रत्नजड़ित सुन्दर कंगन पहनाए गए हैं.
मुद्रिका
बाएं और दाएं दोनों हाथों की मुद्रिकाओं में रत्नजड़ित मुद्रिकाएं सुशोभित हैं, जिनमें से मोतियां लटक रही हैं.
इन आभूषणों से भी हुआ श्रृंगार
- पैरों में छड़ा और पैजनियां पहनाये गए हैं. साथ ही स्वर्ण की पैजनियां पहनाई गई हैं.
- भगवान के बाएं हाथ में स्वर्ण का धनुष है, जिनमें मोती, माणिक्य और पन्ने की लटकने लगी हैं, इसी तरह दाहिने हाथ में स्वर्ण का बाण धारण कराया गया है.
- भगवान के गले में रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला धारण करायी गयी है, जिसका निर्माण हस्तशिल्प के लिए समर्पित शिल्पमंजरी संस्था ने किया है.
- भगवान के मस्तक पर उनके पारम्परिक मंगल-तिलक को हीरे और माणिक्य से रचा गया है.
- भगवान के चरणों के नीचे जो कमल सुसज्जित है, उसके नीचे एक स्वर्णमाला सजाई गयी है.
- चूंकि पांच वर्ष के बालक-रूप में श्रीरामलला विराजे हैं, इसलिए पारम्परिक ढंग से उनके सम्मुख खेलने के लिए चांदी से निर्मित खिलौने रखे गए हैं. ये हैं झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊँट, खिलौनागाड़ी तथा लट्टू. भगवान के प्रभा-मण्डल के ऊपर स्वर्ण का छत्र लगा है.
06:53 PM IST