Olympics 2024: मनु भाकर ने फिर लगाया ब्रॉन्ज पर निशाना, बनीं एक ओलपिंक में 2 मेडल जीतने वाली पहली भारतीय
Paris Olympics 2024: निशानेबाज मनु भाकर ने भारत के लिए पेरिस ओलंपिक में दूसरे ब्रॉन्ज मेडल पर निशाना लगाया है. ऐसा करके वो पहली भारतीय बन गई हैं, जिन्होंने एक ही ओलंपिक में दो मेडल को जीता है.
Paris Olympics 2024: मनु भाकर स्वतंत्रता के बाद एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं, जिन्होंने सरबजोत सिंह के साथ पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम वर्ग में दक्षिण कोरिया को हराकर इतिहास रच दिया. भारतीय जोड़ी ने कोरिया को 16 . 10 से हराकर देश को इस ओलंपिक में दूसरा पदक दिलाया. इससे पहले मनु ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य जीता था.
ब्रिटिश मूल के भारतीय खिलाड़ी नॉर्मन प्रिचार्ड ने 1900 ओलंपिक में 200 मीटर फर्राटा और 200 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक जीते थे लेकिन वह उपलब्धि आजादी से पहले की थी.
पीएम मोदी ने दी बधाई
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर बधाई देते हुए कहा, "हमारे निशानेबाज हमें गौरवान्वित करते रहेंगे! ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने के लिए मनु भाकर और सरबजोत सिंह को बधाई. इन दोनों ने शानदार कौशल और टीम वर्क दिखाया है."
धीमी शुरुआत के बाद की वापसी
भारतीय निशानेबाज मनु भाकर और सरबजोत सिंह ने 2024 पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया. इस जोड़ी ने मंगलवार को एक रोमांचक मैच में धीमी शुरुआत से उबरते हुए दक्षिण कोरिया को 16-10 से हराकर लचीलेपन और संयम का प्रदर्शन किया. मुकाबले की शुरुआत भारतीय जोड़ी के बैकफुट पर होने के साथ हुई और वह पहली सीरीज हार गई.
16-10 के अंतर से दर्ज की जीत
भाकर और सिंह ने असाधारण कौशल और टीम वर्क का प्रदर्शन करते हुए जल्दी ही अपनी स्थिति वापस पा ली. उन्होंने तीसरी सीरीज़ में 4-2 से बढ़त बनाते हुए नियंत्रण हासिल कर लिया और पांच सीरीज़ के बाद अपनी बढ़त को 8-2 तक बढ़ा दिया. दक्षिण कोरिया ने वापसी की कोशिश की और आठवीं सीरीज़ तक अंतर को 6-10 तक कम कर दिया, लेकिन भाकर और सिंह डटे रहे. भारतीय निशानेबाजों ने 16-10 के निर्णायक अंतर से जीत दर्ज की और भारत के लिए खेलों का दूसरा पदक हासिल किया.
जीत के भाकर ने कही ये बात
मैच के बाद, उत्साहित भाकर ने अपना आभार व्यक्त करते हुए प्रसारकों से कहा, "मुझे वास्तव में गर्व महसूस हो रहा है और मैं बहुत आभारी हूं. सभी के आशीर्वाद और प्यार के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. हम केवल वही नियंत्रित कर सकते हैं जो हमारे हाथ में है. मैंने यहां आने से पहले अपने पिता से इस बारे में बात की और फैसला किया कि हमें आखिरी दम तक लड़ते रहना चाहिए."
सरबजोत सिंह ने अपने पहले ओलंपिक पदक का जश्न मनाते हुए उनकी भावनाओं को दोहराया. उन्होंने उस समर्थन को स्वीकार करते हुए, जिसने उन्हें प्रेरित किया, कहा,"यह बहुत अच्छा लगता है. खेल कठिन था, लेकिन हमें खुशी है कि हम ऐसा कर सके. बहुत दबाव था, लेकिन भीड़ बहुत अच्छी थी." यह जोड़ी क्वालीफाइंग राउंड में 580 के संयुक्त स्कोर के साथ तीसरे स्थान पर रहने के बाद कांस्य पदक मैच में उतरी थी.