फिल्‍ममेकर यश चोपड़ा की पत्‍नी (Yash Chopra Wife) और आदित्‍य चोपड़ा व उदय चोपड़ा (Aditya and Uday Chopra Mother) की मां पामेला चोपड़ा (Pamela Chopra) का आज 20 अप्रैल को निधन हो गया. पामेला ने 74 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार पामेला निमोनिया से जूझ रही थीं. निमोनिया के साथ ARDS यानी Acute Respiratory Distress Syndrome उनकी मौत की वजह बना. ARDS को बेहद खतरनाक मेडिकल कंडीशन माना जाता है. ये मरीज को काफी तेजी से गंभीर हालातों में पहुंचा देती है. आइए आपको बताते हैं ARDS के बारे में.

क्‍या होता है ARDS 

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जयपुर स्थित अस्थमा भवन की सीनियर चेस्ट कंसल्टेंट डॉ. निष्ठा सिंह के मुताबिक ARDS को एक्यूट लंग इंजरी या शॉक लंग के नाम से भी जाना जाता है. इसमें फेफड़ों में फ्लूड भर जाता है और ब्लड में कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है. मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है और ऑक्‍सीजन की कमी से मल्‍टी ऑर्गन फेल्‍योर का रिस्‍क काफी बढ़ जाता है. ऐसे में मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है. 

किस कारण से होती है ये परेशानी

ARDS की मुख्‍य वजह संक्रमण और सेप्सिस को माना जाता है. हालांकि इसके अलावा भी इसकी तमाम वजहें हो सकती हैं जैसे निमोनिया, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, किसी ड्रग की टॉक्सिसिटी या ओवरडोज, एक्यूट पैनक्रियाटाइटिस, गंभीर दुर्घटना या चोट आदि.

मरीज में दिखते हैं ये लक्षण

ARDS की समस्‍या होने पर मरीज में कई तरह के लक्षण सामने आते हैं. जैसे सांस लेने में तकलीफ होना, हार्ट बीट तेज होना, लो बीपी, खांसी, बुखार, उंगलियों और होंठों का नीला होना, सिर दर्द, शरीर में ऑक्‍सीजन की कमी आदि.

क्‍यों खतरनाक मेडिकल कंडीशन है ARDS 

ARDS को काफी खतरनाक मेडिकल कंडीशन माना जाता है क्‍योंकि ये मरीज को तेजी से गंभीर स्थिति में पहुंचा देती है. शरीर में ऑक्‍सीजन की कमी और कार्बनडाई ऑक्‍साइड के बढ़ने से मल्‍टी ऑर्गन फेल्‍योर का रिस्‍क बढ़ता है, हार्ट फेल होने का रिस्‍क बढ़ जाता है. ऐसे में मरीज के बचने की उम्‍मीद भी खत्‍म सी हो जाती है. अगर किसी तरह मरीज बच भी जाए, तो ऑक्सीजन की कमी से उसके मस्तिष्‍क, फेफड़े और तमाम अंगों से जुड़ी दीर्घकालिक समस्‍याएं सामने आती हैं. मरीज के सोचने और समझने की क्षमता प्रभावित हो सकती है और ये भी संभव है कि उसे अपने जीवन का लंबा समय बेड पर ही गुजारना पड़े.

इलाज और बचाव के तरीके

इलाज की बात करें तो ARDS की स्थिति में म‍रीज को वेंटीलेटर सपोर्ट देकर उसे एंटीबायोटिक्‍स और अन्‍य जरूरी दवाएं दी जाती हैं. लेकिन बचाव की बात करें तो जागरुकता ही इसका सबसे बड़ा बचाव है. अगर आप निमोनिया, आईएलडी, सीओपीडी जैसी फेफड़ों से जुड़ी किसी भी बीमारी से पीड़‍ित हैं तो किसी भी तरह की समस्‍या होने पर लापरवाही न करें. फौरन विशेषज्ञ से परामर्श करें. अगर एआरडीएस का कोई लक्षण दिखे और आपका विशेषज्ञ से संपर्क न हो पाए तो फौरन किसी नजदीकी अस्‍पताल में जाएं और डॉक्‍टर से संपर्क करें. 

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