डेंगू-मलेरिया के बीच निपाह वायरस की एंट्री, केरल के कोझिकोड में जारी किया गया अलर्ट, जान लीजिए इसके लक्षण
निपाह वायरस जानवरों से इंसानों में होने वाली बीमारी है, जिसे ज़ूनोटिक डिजीज़ कहा जाता है. भारत में इसके मामले पहले भी आ चुके हैं. जानिए इस बीमारी के लक्षण और इलाज.
बीते सोमवार को केरल के कोझिकोड प्रशासन ने ज़िले में निपाह वायरस का अलर्ट जारी किया है. ये अलर्ट कोझिकोड के प्राइवेट अस्पताल में दो लोगों की बुखार से मौत होने के बाद जारी किया गया है. मरने वालों में से एक के परिवार का एक व्यक्ति भी बीमार हुआ है और आईसीयू में भर्ती है. बता दें कि निपाह वायरस जानवरों से इंसानों में होने वाली बीमारी है, जिसे ज़ूनोटिक डिज़ीज़ (Zoonotic Disease) कहा जाता है. ये चमगादड़ों और सुअर के जरिए इंसानों में फैल सकता है.
ये हैं निपाह वायरस के लक्षण
निपाह वायरस बुखार की तरह आता है. कई लोगों को शुरुआत में कोई लक्षण नहीं होते– केवल सांस लेने में दिक्कत होती है. सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी भी हो सकती है. लेकिन लंबे समय तक मरीज में ये इंफेक्शन रह जाए तो एन्सेफिलाइटिस यानी दिमागी बुखार में बदल जाता है.और जानलेवा हो सकता है.
निपाह पर आईसीएमआर की रिसर्च
2019 में आईसीएमआर और NIV (National Institute of Virology) ने निपाह वायरस की पहचान और इलाज के मकसद से एक स्टडी की थी. इसमें पीड़ित मरीजों के 330 परिवारजनों और करीबियों पर स्टडी की गई. स्टडी में 55 ऐसे लोगों में ज्यादा खतरा पाया गया जो सीधे मरीज के बॉडी फ्लूइड जैसे खून, लार या मल मूत्र के संपर्क में आए हों. ऐसे लोगों में ज्यादातर परिवार के लोग या अस्पताल का स्टाफ थे. इसके बाद मरीज को आइसोलेशन करने का फैसला लिया गया.
एक्सपर्ट्स ने उस दौरान केरल के कुछ जिलों से चमगादड़ पकड़कर उन पर रिसर्च की थी जिसमें 4 चमगादड़ों में निपाह वायरस की मौजूदगी की पुष्टि हुई. मरीज के आइसोलेशन के साथ साथ सभी चीजों को डिकॉन्टेमिनेट किया गया.पीपीई किट्स पहनकर ही स्वास्थय कर्मियों को इलाज की सलाह दी गई.जिसकी वजह से 2019 में हालात काबू में ही रहे.
भारत में पहले आ चुका है निपाह वायरस
भारत में इससे पहले भी निपाह वायरस आ चुका है. 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी जिले और 2007 में नादिया में भी निपाह वायरस बीते सालों में फैला है. मई 2018 में निपाह वायरस केरल के कोझिकोड में ही पाया गया था.उस समय 23 में से 21 मरीजों की मौत हो गई थी. इसके बाद 2019 में एरनाकुलम में एक मरीज मिला था जो बाद में इलाज से ठीक हो गया. इसके बाद 2021 में भी निपाह के मामले सामने आए थे.
क्या है निपाह वायरस का इलाज
निपाह वायरस कोरोनावायरस की तरह तेज़ी से नहीं फैलता और समय रहते कंट्रोल कर लिया जाए तो उसे सीमित क्षेत्र मे ही रोका जा सकता है.लेकिन इस वायरस से जान जाने का खतरा रहता है.
इस बीमारी की सीधे तौर पर कोई दवा नहीं है.शोध के दौरान NIV Pune ने आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड से एक दवा मंगवाई थी.लेकिन इस दवा के बारे में पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सका.
कोरोना के इलाज की तरह की मरीज को आइसोलेशन में रखना, तरल पदार्थ लेना और लक्षणों के हिसाब से इलाज करना निपाह वायरस का भी इलाज है.
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