Nipah Virus: केरल में निपाह वायरस को लेकर हर दिन खबरें आ रही है. अभी कुछ दिन पहले केरल के कोझिकोट के एक प्राइवेट अस्पताल में इस वायरस से दो लोगों की मौत हुई है. इस वायरस के बढ़ते मामले को देखते हुए केरल सरकार ने केरल के 7 गांव के स्कूल और बैंक बंद करने का आदेश जारी किया है  तो चलिए जानते हैं क्या है ये वायरस ? जानवरों से फैलती है ये बीमारी यह एक ऐसा वायरस है जो जानवरों से इंसानों में फैलता है. जिसे ज़ूनोटिक डिज़ीज़ (Zoonotic Disease) कहा जाता है. ये चमगादड़ों और सुअर के जरिए इंसानों में फैल सकता है. आपको बता दें कि कोरोना का सबसे पहला केस केरल में ही आया था और वे भी जानवरों से फैलने वाली बीमारी थी.

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निपाह वायरस से बचाव के तरीके 

चमगादड़ और सूअर के संपर्क से बचें

जमीन पर गिरे हुए फल या सब्जियां न खाएं.

मास्क लगाकर रखे.

समय-समय पर हाथ थोते रहें.

संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें.

सरकार ने कई जगहों के लिए अलर्ट किया जारी निपाह वायरस को लेकर राज्य सरकार ने स्वास्थ्य अलर्ट जारी किया है. केरल के अस्पताल में जिन दो लोगों की मौत हुई वे एक ही अस्पताल में भर्ती थे और उनका एक रिश्तेदार अभी भी उसी हॉस्पिटल में भर्ती है. इसको लेकर कई मरीजों के टेस्ट सैंपल की जांच की जा रही है. 2004 में सबसे पहले बांग्लादेश में मिला निपाह का केस साल 2004 में सबसे पहले इस वायरस के बारे में बांग्लादेश में लोगों को पता चला था.यहां कुछ लोग ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले कुछ फल को चखा था. कहां से रखा गया निपाह नाम निपाह का नाम मलेशिया के एक गांव के नाम पर रखा गया है. 1998-99 के दौरान इसी गांव में निपाह का पहला केस सामने आया था. चमगादड़ से फैला ये वायरस आपको बता दें कि जिस चमगादड़ को इस वायरस का होस्ट माना गया है उसे flying fox भी कहते हैं. यह दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में आम तौर पर पाया जाता है. इन चमगादड़ों को खजूर बहुत पसंद है. सबसे पहले यह देखा गया कि जिन पेड़ों पर सबसे ज्यादा चमगादड़ से उनके फल या पानी पीने से ये वायरस फैल रहा था. 2018 में भी निपाह वायरस से कई लोगों की मौत इससे पहले यह वायरस की 2018 में पुष्टि हुई थी. WHO के मुताबिक यह वायरस जानवरों से फैलता हैं. इस वायरस को NIV के नाम से भी जाना जाता है. यह जानवरों और इंसान दोनों को अपना शिकार बनाता है. क्या हैं निपाह वायरस के लक्षण संक्रमित लोगों में शुरू में बुखार, सिरदर्द, उल्टी और गले में होता है. इसके बाद  चक्कर आना काफी ज्यादा नींद आना या एन्सेफलाइटिस का संकेत देते हैं. इस बीमारी में कुछ लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है. गंभीर मामलों में एन्सेफलाइटिस और दौरे पड़ते हैं, जो 24 से 48 घंटों के भीतर कोमा में चले जाते हैं.