Doctor's Day Significance: हमारे देश में Doctors को भगवान का दर्ज़ा दिया जाता है, क्‍योंकि डॉक्‍टर लोगों को जीवनदान देते हैं. कोविड की महामारी के दौरान जब लोग सोशल डिस्‍टेंसिंग के रूल्‍स को फॉलो कर रहे थे, तब ये डॉक्‍टर्स खुद की जान को जोखिम में डालकर दिन और रात मरीजों की जान बचाने में जुटे थे. नेशनल डॉक्‍टर्स डे इन सभी डॉक्‍टर्स को सम्‍मान देने का दिन है, जो हर साल 1 जुलाई को मनाया जाता है. आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास और महत्व.

पहली बार कब मनाया गया Doctor's Day

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भारत में सबसे पहले डॉक्टर्स डे 1991 में सेलिब्रेट किया था, ये दिन डॉ. बिधान चंद्र रॉय को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है क्योकि डॉ. रॉय ने भारत के Healthcare System में एक बड़ा योगदान दिया था. हर साल डॉक्टर्स डे पर एक थीम निर्धारित की जाती है. साल 2023 में डॉक्‍टर्स डे की थीम है-  'Celebrating Resilience and Healing Hands'. ये थीम उन डॉक्टर्स के लिए रखी गई है जिन्होंने Covid महामारी के समय में हजारों लोगों की जान बचाई थी.

1 जुलाई को ही क्‍यों मनाया जाता है

नेशनल डॉक्‍टर्स डे का सेलिब्रेशन प्रसिद्ध चिकित्सक शिक्षाविद और बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय को और सभी डॉक्‍टर्स को सम्‍मान देने के उद्देश्‍य से किया जाता है. इनका जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना में हुआ था. डॉ. बिधान चंद्र रॉय ने मेडिकल के क्षेत्र में अपना बहुत बड़ा योगदान दिया है. उन्होंने यादवपुर राजयक्ष्मा अस्पताल, चित्तरंजन सेवा सदन फॉर वीमेन एंड चिल्ड्रेन, कमला नेहरू मेमोरियल हॉस्पिटल, विक्टोरिया कॉलेज और चित्तरंजन कैंसर हॉस्पिटल खोलने में अहम भूमिका निभाई. 

अपने खाली वक्‍त में भी डॉ. बिधान चंद्र रॉय लोगों का बेहद कम फीस में इलाज करते थे. मेडिकल स्‍टाफ न होने पर नर्स का काम भी वो खुद कर लिया करते थे. डॉ. बिधान चंद्र रॉय आज भी तमाम डॉक्‍टर्स के बीच एक प्रेरणा हैं. उनके इस योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने सन् 1976 में उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से नवाजा था. मेडिकल क्षेत्र में  डॉ. बिधान चंद्र रॉय के योगदान को सम्‍मान देने के लिए उनके निधन के बाद उनके जन्‍मदिन की तारीख को राष्‍ट्रीय चिकित्‍सक दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया.

क्या है इस दिन का महत्व 

डॉक्टर्स डे उन सभी डॉक्टर्स के प्रति आभार प्रकट करने का दिन है जो दिन रात अस्‍पतालों में सेवा में लगे रहते है. मरीजों को ठीक करना डॉक्टर्स की ड्यूटी होती है, लेकिन इसके लिए वो चौबीसों घंटे तैयार रहते हैं. उनके इस लगन और जज्बे को सलाम करने के लिए यह खास दिन हर साल मनाया जाता है. इस दिन तमाम जगहों पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. कई जगहों पर मुफ्त शिविर और मुफ्त में स्क्रीनिंग की सुविधा दी जाती है.

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