भारत विविधता का देश है. यहां अलग-अलग राज्‍यों में रहन-सहन, खान-पान से लेकर भाषा तक बदल जाती है. यहां की दो तिहाई आबादी आज भी गांवों में बसती है. तमाम गांव ऐसे भी हैं जो अपनी किसी विशेष कारण से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं. ऐसा ही एक गांव है मलाणा. ये गांव हिमाचल प्रदेश में है. पहाड़ी क्षेत्र में बसा होने के कारण घूमने के लिहाज से ये गांव बेहद खूबसूरत बताया जाता है. हिमालय की चोटियों के बीच स्थित मलाणा गांव चारों तरफ से गहरी खाइयों और बर्फीले पहाड़ों से घिरा है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

लेकिन इस गांव को काफी रहस्‍यमयी माना जाता है. कहा जाता है कि इस गांव में रहने वाले लोग 'सिकंदर के सैनिकों के वंशज' हैं और वो एक ऐसी भाषा बोलते हैं जिसे दुनिया में कहीं और नहीं बोला जाता. इस भाषा को आज तक कोई बाहरी व्‍यक्ति नहीं समझ पाया है. अगर आप इस गांव में घूमने की चाहत रखते हैं, तो जाने से पहले यहां की दिलचस्‍प बातों के बारे में जान लें.

गांव तक पहुंचना आसान नहीं

अगर आप मलाणा गांव जाना चाहते हैं तो ये समझ लीजिए कि यहां तक पहुंचना भी कोई मामूली बात नहीं है. आपको इस गांव तक पहुंचने के लिए पहाड़ी पगडंडियों से होते हुए जाना पड़ेगा. पार्वती घाटी की तलहटी में स्थित जरी गांव से मलाणा गांव तक सीधी चढ़ाई है. जरी से मलाणा तक पहुंचने में करीब चार घंटे लग जाते हैं. हालांकि इतना कठिन मार्ग होने के बावजूद यहां काफी सैलानी घूमने के लिए आते हैं.

यहां के लोग सिकंदर के वंशज

कहा जाता है कि जब सिकंदर ने हिंदुस्तान पर हमला किया था, तो उसके कुछ सैनिकों ने मलाणा गांव में ही पनाह ली थी. इसके बाद वो लोग यहीं पर बस गए. माना जाता है कि यहां रहने वाले लोग उन्‍हीं सैनिकों के वंशज हैं. इतना ही नहीं, सिकंदर के जमाने की कई चीजें भी आपको इस गांव में मिल जाएंगीं. सिकंदर के जमाने की तलवार आज भी यहां एक मंदिर में रखी है.

अजीबोगरीब भाषा बोलते हैं लोग

मलाणा गांव में रहने वाले लोगों की भाषा भी एकदम अजीबोगरीब है. यहां के लोग कनाशी भाषा में बात करते हैं. कहा जाता है कि ये भाषा मलाणा के अलावा दुनिया में और कहीं नहीं बोली जाती. सिर्फ मलाणा में रहने वाले लोग ही इस भाषा को समझ सकते हैं. आज तक कोई बाहरी व्‍यक्ति इनकी भाषा को नहीं समझ पाया है क्‍योंकि ये भाषा किसी बाहरी व्‍यक्ति को नहीं सिखायी जाती. कई देशों में इस भाषा को लेकर शोध हो रहे हैं.

बाहरी लोगों को छूते नहीं

इतना ही नहीं, मलाणा गांव में रहने वाले बुजुर्ग बाहरी लोगों को छूने और उनसे हाथ मिलाने में भी परहेज करते हैं. कहा जाता है कि अगर आप दुकान से भी कोई सामान खरीदेंगे तो ये लोग उस सामान को बाहरी व्‍यक्ति के हाथ में नहीं देते, बल्कि किसी जगह पर रख देते हैं और न ही बाहरी व्‍यक्ति से हाथ में रुपए लेते हैं. हालांकि नई पीढ़ी के लोगों में इस सोच को लेकर बदलाव आया है. वो लोग छुआछूत का परहेज नहीं मानते.

सिर्फ दिन में ही आ सकते हैं बाहरी लोग

अगर आप इस गांव में घूमना चाहते हैं तो आप सिर्फ दिन के समय में ही यहां जा सकते हैं. रात के समय बाहरी लोगों को यहां रुकने की इजाजत नहीं होती. रात में यहां के सारे गेस्‍ट हाउस बंद हो जाते हैं. यहां के लोगों की मान्‍यता है कि ये उनके जमलू देवता का आदेश है. इतना ही नहीं, इस गांव के रहने वाले लोग शादियां भी गांव के ही लोगों से करते हैं. यहां की हशीश (चरस) भी काफी मशहूर है. मलाणा के लोग इसे हाथों से रगड़ कर तैयार करते हैं और फिर बाहरी लोगों की बेचते हैं. 

 

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें