जल स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ हुए बीमार, 15 दिनों तक नहीं हो सकेंगे भक्तों को दर्शन, आयुर्वेद पद्धति से होगा इलाज
हर साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं. इसके बाद करीब 15 दिनों तक मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और भगवान को एकान्तवास में रखकर उनका विशेष औषधियों से इलाज किया जाता है.
मथुरा और वृंदावन भगवान श्रीकृष्ण का स्थल है. यहां कई सारे ऐसे मंदिर हैं, जिनकी दुनियाभर में मान्यता है. ऐसा ही एक मंदिर भगवान जगन्नाथ का है. ये मंदिर वृंदावन में यमुना तट स्थित जगन्नाथ घाट पर बना है. इसे जगन्नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर की अनोखी मान्यता है. यहां ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं. इसके बाद करीब 15 दिनों तक मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और भगवान को एकान्तवास में रखकर उनका विशेष औषधियों से इलाज किया जाता है. आइए आपको बताते हैं इस बारे में.
स्नान के बाद भगवान हुए बीमार
पूर्णिमा के दिन देश की पवित्र नदियों के जल के अलावा जड़ी बूटी मिश्रित जल और फलों के रस से भगवान का अभिषेक किया गया. ये अभिषेक करीब एक घंटे तक चला. इस स्नान के कारण भगवान जगन्नाथ को बुखार आ गया है. भगवान के बीमार पड़ने के साथ ही मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए गए हैं. अब करीब 15 दिनों तक भगवान का विशेष इलाज किया जाएगा. ये इलाज आयुर्वेद पद्धति से किया जाएगा.
20 जून को खुलेंगे कपाट
जब तक भगवान का इलाज चलता है, तब तक भगवान को एकान्तवास में रखा जाता है. भक्तों को इस बीच उनके दर्शन नहीं होते. उनके खानपान का भी विशेष ध्यान रखा जाता है. इस बीच भगवान को चावल का भोग नहीं लगाया जाता. 15 दिनों बाद जब भगवान पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं, तब भगवान को गाय के दर्शन कराए जाते हैं और उसके बाद भक्तों के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं. 20 जून को सूर्योदय के साथ ही मंदिर के पट भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे. शाम के समय अलग-अलग रथ में विराजमान होकर भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ यात्रा पर निकलेंगे.
बीमार होने के पीछे मान्यता
हर साल भगवान जगन्नाथ बीमार होने के पीछे विशेष मान्यता है. प्राचीन कथाओं के अनुसार, ओडिशा के जगन्नाथ धाम में भगवान के परम भक्त माधव दास को बीमारी हो गई और वे इतने कमजोर हो गए कि उनका उठना-बैठना, चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया. लेकिन फिर भी उन्होंने भगवान की सेवा करना नहीं छोड़ा. इसके बाद स्वयं भगवान जगन्नाथ अपने भक्त माधव दास के घर पहुंचे. उस समय माधव दास नींद में थे. भगवान चुपचाप उनकी सेवा करने लगे.
भगवान के स्पर्श से माधव दास की नींद खुली, तो वे उन्हें पहचान गए और बोले प्रभु आप मेरी सेवा कर रहे हैं, जबकि आप चाहते तो मेरा रोग हर सकते थे. इसके बाद भगवान ने कहा कि जो होना है, वो तो होकर रहेगा. लेकिन अभी तुम्हारे हिस्से इस बीमारी का 15 दिनों का कष्ट बाकी है. इसे मुझे दे दो. इसके बाद भगवान ने अपने भक्त का रोग ले लिया. तब से हर साल भगवान 15 दिनों के लिए बीमार पड़ते हैं. पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद उनकी रथ यात्रा निकाली जाती है.
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