नौजवान हो या बूढ़े बिगड़े डेली रूटीन से नींद की समस्या से ज्यादातर लोग परेशान है. लेकिन हाल में पब्लिश एक जर्नल में नींद को लेकर कई बड़े खुलासे किए हैं. इसमें कहा गया कि  वायु प्रदूषण, गर्मी, कार्बन डाईऑक्साइड का हाई लेवल और आस पास का शोर रात की अच्छी नींद को प्रभावित कर सकते हैं. ‘स्लीप हेल्थ’ जर्नल में प्रकाशित यह रिसर्च बेडरूम में कई पर्यावरणीय कारकों को मापने और नींद की गुणवत्ता के साथ उनके संबंधों का विश्लेषण करने वाला अपनी तरह का पहला रिसर्च है.

नींद पर किसका किन बातों का पड़ता है असर

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रिसर्चर्स ने 62 लोगों के एक ग्रुप की 2 हफ्ते के लिए निगरानी की. इस दौरान उनकी एक्टिविटीज के साथ ही नींद लेने के समय पर ध्यान केंद्रित किया गया. रिसर्च में पाया गया कि बेड रूम में वायु प्रदूषण के हाई लेवल, कार्बन डाइऑक्साइड, शोर और तापमान का सीधा असर नींद की क्वालिटी पर पड़ा और ऐसे लोग कम नींद ले सके.

बेड रूम का वातावरण है काफी अहम

अमेरिका के पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एवं रिसर्च के प्रमुख लेखक मैथियास बेसनर ने कहा कि ये निष्कर्ष उच्च गुणवत्ता वाली नींद के लिए बेड रूम के वातावरण के महत्व पर प्रकाश डालते हैं. उन्होंने कहा कि कार्य और पारिवारिक जिम्मदारियों के चलते नींद की गुणवत्ता पर पड़ने वाले प्रभाव के अलावा बढ़ते शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से बदलते परिवेश ने रात में अच्छी नींद लेना कठिन बना दिया है.

इन वजहों से घट सकती है अच्छी नींद का टाइम

रिसर्चर्स ने कहा कि पर्याप्त नींद नहीं लेने के कारण कार्य क्षमता और जीवन की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि इसका संबंध हृदय रोग, टाइप-2 मधुमेह, डिप्रेशन और डिमेंशिया सहित अन्य बीमारियों के हाई रिस्क से भी है. रिसर्च में पाया गया कि ज्यादा शोर से अच्छी नींद की क्वालिटी में 4.7% की कमी हो सकती है, जबकि हाई कार्बन डाइऑक्साइड अच्छी नींद की गुणवत्ता में 4% की कमी, हाई टेंप्रेचर 3.4% की कमी और हाई वायु प्रदूषण 3.2% की कमी कर सकता है.

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