धनतेरस (Dhanteras) का पर्व त्रयोदशी तिथि दो दिन होने के कारण आज और कल दोनों दिन मनाया जाएगा. इस दिन को धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्‍वं‍ति‍र हाथ में रत्‍नजड़‍ित सोने का अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. धनतेरस के दिन शाम को प्रदोष काल में माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है.

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ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के अनुसार त्रयोदशी 22 अक्‍टूबर को शाम 6 बजकर 2 मिनट पर शुरू हो जाएगी और इसका समापन 23 अक्‍टूबर को शाम 06 बजकर 03 मिनट पर होगा. ऐसे में कुछ लोग 22 अक्‍टूबर को धनतेरस का पर्व मना रहे हैं, वहीं कुछ लोग उदया तिथि के हिसाब से कल धनतेरस को सेलिब्रेट करेंगे. यही शास्‍त्र संवत है.

जानें शुभ मुहूर्त

अगर आप धनतेरस का त्‍योहार आज मना रहे हैं तो पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम को 07 बजकर 01 मिनट से रात 08 बजकर 17 मिनट तक रहेगा. वहीं 23 अक्‍टूबर को धनतेरस मनाने वालों के लिए पूजा का शुभ समय पूजा के लिए शाम 05:40 से 06:03 तक रहेगा. इसके अलावा शाम  शाम 07:17 मिनट से 08:53 मिनट तक है. ज्‍योतिषाचार्य का कहना है कि जो तिथि उदया तिथि के साथ प्रारंभ होती है, उसका असर पूरे दिन रहता है, ऐसे में 23 अक्‍टूबर को शाम 06 बजकर 03 मिनट पर त्रयोदशी तिथि बेशक समाप्‍त हो जाएगी, लेकिन उसका असर कल पूरे दिन रहेगा.

खरीददारी का शुभ समय

ज्‍योतिषाचार्य का कहना है कि धनतेरस की पूजा 22 और 23 अक्‍टूबर दोनों दिन की जा सकती है, लेकिन खरीददारी के लिहाज से 23 अक्‍टूबर का दिन ही शुभ है. इस दिन सोना-चांदी, जमीन, मकान,वाहन आदि किसी भी तरह की खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 08:17 से शुरू होकर शाम 04:30 तक रहेगा. शाम 04:30 बजे से राहुकाल शुरू हो जाएगा जो 6 बजे तक रहेगा. इस बीच खरीददारी करने से परहेज करें. इसके बाद शाम 6 बजे से लेकर रात 11:05 मिनट तक खरीददारी की जा सकती है. दीपदान का शुभ समय शाम 07:17 मिनट से 08:53 मिनट तक है. 

23 अक्‍टूबर की धनतेरस है शुभ

ज्‍योतिषाचार्य बताते हैं कि 23 अक्‍टूबर के दिन दो शुभ योग भी बन रहे हैं. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं. सर्वार्थसिद्धि योग 23 अक्‍टूबर को पूरे दिन है और दोपहर 02:33 से अमृत सिद्धि योग शुरू होगा जो पूरे दिन रहेगा. इन दोनों योग के कारण धनतेरस बेहद शुभ होगी.

धनतेरस पूजा विधि

धनतेरस की शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की तस्‍वीर एक चौकी पर रखें. घी का दीपक जलाएं. धूप, पुष्‍प, अक्षत, रोली, चंदन, वस्‍त्र आदि अर्पित करें. मंत्रों का जाप करें और धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें. इसके बाद आ‍रती करें और घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाएं.