जब सूर्य किसी राशि में प्रवेश करते हैं, तो दिन को उस राशि की संक्रांति के नाम से जाना जाता है जैसे मेष में प्रवेश करने पर मेष संक्रांति और कर्क राशि में प्रवेश करने पर कर्क संक्रांति आदि. इस तरह सालभर में कुल 12 संक्रांति होती हैं. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्‍योहार मनाया जाता है. सभी संक्रांति में मकर संक्रांति को विशेष माना गया है. ज्‍यादातर मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी को मनाई जाती है. 

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ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य देव 14 जनवरी शनिवार की रात को 8 बजकर 45 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसलिए मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. हर बार मकर संक्रांति के मौके पर तिल और गुड़ के लड्डू बनाकर दान किए जाते हैं और प्रसाद के तौर पर खाए भी जाते हैं. आइए आपको बताते हैं कि इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्‍व क्‍या है.

धार्मिक महत्‍व समझें

ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के अनुसार मकर राशि शनिदेव की राशि है. सूर्य, शनि के पिता हैं. वे इस दिन मकर राशि यानी शनि के घर में प्रवेश करते हैं. शनि के घर में सूर्य के पधारने पर उनका स्‍वागत सत्‍कार शनि से संबन्धित चीजों से किया जाता है. काले तिल, काली दाल आदि का संबन्‍ध शनि से माना गया है. वहीं गुड़ का संबन्‍ध सूर्य से है. ऐसे गुड़ में काले तिल को मिलाकर लड्डू तैयार करने का मतलब है शनि और सूर्य (पिता और पुत्र) के मधुर संबन्‍ध से होता है. संक्रांति के दिन इन लड्डुओं को बनाकर प्रसाद के तौर पर सूर्यदेव को इसका भोग लगाना चाहिए, इसे दान करना चाहिए और प्रसाद के तौर पर इसे खाना चाहिए. इससे शनि और सूर्य दोनों की कृपा प्राप्‍त होती है और कुंडली में दोनों ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है. 

इस बात का रहे खयाल

ज्‍योतिषाचार्य कहते हैं आजकल बेशक लोग लड्डुओं में सफेद तिल का इस्‍तेमाल करने लगे हैं, लेकिन इस दिन विशेष महत्‍व काले तिल का माना गया है. इस दिन आप सूर्य को अर्घ्‍य देते समय उस जल में भी काले तिल डालें और लड्डुओं में भी गुड़ के साथ काले तिल का इस्‍तेमाल जरूर करें. भले ही आप साथ में सफेद तिल भी मिला लें, लेकिन काले तिल जरूर डालें. इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन उड़द की दाल की खिचड़ी का भी विशेष महत्‍व है. इस कारण इस त्‍योहार को भी खिचड़ी (Khichdi Festival) के नाम से जाना जाता है. इस दिन खिचड़ी को दान करना चाहिए और इसे सूर्यदेव का प्रसाद मानकर खाना चाहिए. 

वैज्ञानिक महत्‍व भी जानें

वैज्ञानिक लिहाज से देखें तो जिस समय मकर संक्रांति का त्योहार आता है, उस समय उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड होती है. तमाम जरूरतमंद लोग इस ठंड के प्रभाव से ठिठुर रहे होते हैं. गुड़ और तिल दोनों की तासीर काफी गर्म होती है. दोनों ही चीजें सर्दी के प्रभाव से बचाने में फायदेमंद मानी जाती हैं. इसे खाने से शरीर को गर्माहट मिलती है. त्‍योहार के अवसर पर इसलिए इसे बनाकर खाया जाता है और तमाम जरूरतमंद लोगों को बांटा जाता है.

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