क्यों इन दिनों फैल रहे हैं तरह-तरह के फ्लू और आपके लिए हैं कितने रिस्की? जानिए कारण, लक्षण और बचाव
इन दिनों वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम, H3N2, H1N1 वगैरह काफी फैल रहे हैं. इसमें लोग बुखार, जुकाम, खांसी वगैरह के साथ काफी कमजोरी महसूस करते हैं. जानिए इनका कारण, लक्षण और बचाव के तरीके.
इन्फ्लूएंजा एक ऐसी समस्या है जो अक्सर साल में दो बार लोगों को अपना शिकार बनाती है. एक फरवरी से मार्च के बीच और दूसरा मानसून के बाद सितंबर से नवंबर के बीच. इसका कारण है कि इस बीच मौसम में बदलाव होने लगता है. कभी सर्दी और कभी गर्मी होने के कारण लोग खानपान और रहन-सहन को लेकर लापरवाही बरतने लगते हैं. इससे उनकी इम्युनिटी कमजोर होती है और वो बीमार हो जाते हैं.
ज्यादातर इस मौसम में वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम, H3N2, H1N1 वगैरह के कारण लोग परेशान होते हैं. इस मामले में नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. रमाकान्त शर्मा की मानें तो ये सभी तरह की परेशानियां इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण ही होती हैं, जिसे आम भाषा में हम फ्लू कहते हैं. आइए आपको विस्तार से समझाते हैं पूरी बात-
क्या है इन्फ्लूएंजा
डॉ. रमाकान्त शर्मा के अनुसार फ्लू, इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाला एक एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन है. ये दुनियाभर में बहुत आम है और इसके अधिकतर मामलों में बिना इलाज के भी लोग ठीक हो सकते हैं. बस उनको थोड़ा सावधानी बरतने की जरूरत है.
कई तरह का होता है इन्फ्लूएंजा
इन्फ्लूएंजा कई तरह का होता है जैसे इन्फ्लूएंजा ए, बी और सी आदि. इसमें से सबसे ज्यादा कॉमन इन्फ्लूएंजा ए और बी है. H3N2, H1N1 जैसी समस्याएं इन्फ्लूएंजा ए का नतीजा है और कॉमन कोल्ड, वायरल फीवर वगैरह इन्फ्लूएंजा बी के कारण होते हैं. सावधानी बरतने और समय रहते इलाज लेने पर ये कुछ दिनों में ठीक हो जाता है, लेकिन लापरवाही बरतने पर ये गंभीर हो सकता है. इन्फ्लूएंजा सी बहुत कॉमन नहीं है और इसके लक्षण भी बहुत गंभीर नहीं माने जाते हैं.
संक्रामक होता है ये रोग
इन्फ्लूएंजा ए और बी दोनों ही वायरस संक्रामक होते हैं. हालांकि ये वायरस कोरोना की तरह हवा के जरिए नहीं फैलता, लेकिन इन्फ्लूएंजा वायरस से ग्रसित मरीज के संपर्क में आने, उसके खांसने-छींकने, उसकी यूज की गई चीजों के इस्तेमाल से फैल सकता है.
क्या होते हैं लक्षण
- बुखार
- ठंड लगना
- जुकाम
- खांसी
- सिरदर्द
- बदन दर्द
- उल्टी या दस्त
- थकान कमजोरी
- नाक बहना
- छाती में जकड़न
- सांस लेने में तकलीफ
कितने दिनों में होता है ठीक
आमतौर फ्लू को ठीक होने में 4 से 7 दिनों का समय लगता है. अगर समस्या गंभीर हो गई है तो 10 से 15 दिन भी लग सकते हैं. रेस्पिरेटरी इन्फ्लूएंजा के मामलों में बुखार वगैरह से राहत 4 से 7 दिनों में मिल जाती है, लेकिन कफ वगैरह थोड़े ज्यादा दिन तक परेशान कर सकता है.
रिस्क फैक्टर्स
कुछ खास मेडिकल कंडीशन फ्लू को गंभीर बना सकती हैं, ऐसे मामलों में जरा भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए और उनकी सलाह से ही दवा वगैरह लेना चाहिए. ये मेडिकल कंडीशंस हैं-
- डायबिटीज होने पर
- अस्थमा, सीओपीडी या फेफड़ों की की कोई पुरानी बीमारी
- स्ट्रोक सहित किडनी, लिवर, न्यूरोलॉजिकल, हार्ट या ब्लड वेसल्स से जुड़ी बीमारी की हिस्ट्री.
- एचआईवी/एड्स, कैंसर की वजह से आदि बीमारियों की वजह से कमजोर इम्युनिटी
- सिकल सेल रोग जैसा कोई ब्लड डिसऑर्डर
- वजन ज्यादा होने पर
- बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती
बीमारी से ग्रसित लोग क्या करें
अगर आप इन्फ्लूएंजा से ग्रसित हैं तो आपको विशेषज्ञ की सलाह से दवा लेने के साथ कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए जैसे-
- खुद को आइसोलेट करें
- साफ-सफाई का खयाल रखें
- नमी से बचें, नमी वाले कपड़े भी न पहनें
- अपने हाथ हैंडवॉश से समय-समय पर धोएं या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
- सेंधा नमक डालकर गुनगुने पानी से गरारे करें.
- अणु तेल, गाय का घी, या बादाम रोगन की दो-दो बूंदें सुबह-शाम नाक में डालें.
- दिन में कम से कम दो से तीन बार स्टीम लें.
- घर का बना ताजा और हल्का खाना खाएं.
अगर बीमार नहीं हैं तो ऐसे करें बचाव
- हाइजीन मेंटेन करें.
- बीमार व्यक्ति के संपर्क में जाने से बचें.
- भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज करें. अगर जा रहे हैं तो मास्क लगाएं.
- बाहर से आने के बाद हाथों को अच्छे से साबुन या फेसवॉश से धोएं.
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करें.
- बाहरी खाने से परहेज करें, घर का बना ताजा खाना खाएं.
- फ्रिज में रखी चीजों को सीधेतौर पर खाने से परहेज करें.
- शहद के साथ काली मिर्च पाउडर और सोंठ मिलाकर लें.