Assembly Elections Result 2023: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना के चुनावी नतीजे रिजल्ट्स NDA और I.N.D.I.A के लिए बेहद जरूरी है. इसका कारण यह है कि इन चुनावों को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों का अंदेशा है. अगर ये नतीजे इंडिया के पक्ष में आते हैं तो जाहिर सी बात है कि आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों के आत्मविश्वास में इजाफा होगा. लेकिन यदि नतीजे एनडीए के पक्ष में आते हैं तो सत्ता पक्ष को यह बताने का मौका मिलेगा कि इंडिया की ताकत सिर्फ कागज के पन्नों तक सीमित है.

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I.N.D.I.A के लिए अहम हैं नतीजे

राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव के नतीजों से एक बात साफ हो जाएगी कि किसी भी लोकसभा क्षेत्र में इंडिया या एनडीए कौन प्रभावी होगा. मई में कर्नाटक में भाजपा को सत्ता से हटाने के बाद कांग्रेस की नजर मध्य प्रदेश और तेलंगाना में जीत पर है और वह राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में सत्ता बरकरार रखने की उम्मीद कर रही है. इन चुनावों में प्रभावशाली प्रदर्शन से विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) में पार्टी की स्थिति मजबूत होगी.

अगर पक्ष में रहे नतीजे

चुनावी नतीजों के बाद विपक्षी गठबंधन अब अगले साल आम चुनावों में बीजेपी से मुकाबला करने की तैयारियों में तेजी लाएगा. नतीजे आने के साथ, मतभेदों को दूर करने, सीट-बंटवारे पर बातचीत करने और 2024 में भाजपा को हराने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ने के लिए क्षेत्रीय खिलाड़ियों के साथ आगे की बातचीत पर ध्यान देने के साथ व्यस्तता भरी राजनीतिक कवायद जल्द ही शुरू हो जाएंगी.

हार के बाद कांग्रेस के पास क्या ऑप्शन

कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि 26 दलों का विपक्षी गठबंधन  केवल लोकसभा चुनावों के लिए है. क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने हालांकि इन विधानसभा चुनावों के दौरान कुछ नाराजगी दिखाई, जहां सीट बंटवारे में उनकी अनदेखी की गई. कांग्रेस का कहना है कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मुकाबला मुख्य रूप से कांग्रेस और भाजपा के बीच है. इसमें कोई शक नहीं है कि बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी दलों के नेता एक मंच पर आ चुके हैं.

अगर कांग्रेस को इन चारों राज्यों में शानदार कामयाबी मिलती है तो जाहिर सी बात है कि वो आम चुनाव  2024 के लिए क्षेत्रीय दलों पर दबाव बनाने में कामयाब हो सकती है. लेकिन यदि नतीजे उसकी उम्मीद के खिलाफ आते हैं तो उसका अर्थ यह होगा कि इंडिया गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय दल कांग्रेस के दबाव के सामने ना झुकें.

कांग्रेस की मुश्किलें 

लोकसभा चुनाव को लेकर I.N.D.I.A. में हिस्सेदारी के मुद्दे पर जब क्षेत्रीय दलों का कांग्रेस पर दबाव बढ़ना शुरू हुआ तो कांग्रेस ने उस मोर्चे पर वक्ती तौर पर अपने को 'साइन आउट' कर लिया. सारा ध्यान पांच राज्यों के चुनाव पर केंद्रित कर लिया. इस बात से इंडिया के कई नेताओं ने नाराजगी भी दिखाई. लेकिन कांग्रेस के लिए यह करना जरूरी था. क्योंकि यूपी, बिहार, बंगाल और तमिलनाडु चार राज्य ऐसे हैं, जहां कांग्रेस खुद में कोई ताकत नहीं है. ऐसे में इन राज्यों के कैंडिडेट खुद को 'ड्राइविंग सीट' पर रखना चाहते हैं. वे नहीं चाहते कि सीटों के बटवारे में कांग्रेस की कोई दखलअंदाजी हो.