जब सीमेंट नहीं था, तब किस चीज से बनती थीं इमारतें, कभी सोचा है आपने?
ताजमहल जैसी ऐतिहासिक इमारत उस समय की है, जब सीमेंट का आविष्कार ही नहीं हुआ था. तब इन इमारतों के पत्थर को आखिर किस चीज से चिपकाया जाता था जो आज भी ये मजबूती के साथ खड़ी हैं. यहां जानिए इसके बारे में.
मकान हो या कोई और इमारत, उसे बनाने के सीमेंट की जरूरत होती है. सीमेंट ही वो चीज है जो किसी इमारत को मजबूती देने का काम करता है. लेकिन सीमेंट का आविष्कार सन 1824 में हुआ था. इससे पहले भी तमाम तरह के किले, स्मारक और इमारतें बनाई जाती रही हैं. भारत की बात करें तो यहां ताजमहल, कुतुबमीनार, लाल किला, इमामबाड़ा, हवा महल वगैरह कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जो उस समय के बने हुए हैं, जब सीमेंट का नामोनिशां नहीं था.
इन सबमें एक बात कॉमन है कि ये सभी ऐतिहासिक स्थल आज भी काफी मजबूती के साथ खड़े हैं. ऐसे में क्या कभी आपके दिमाग में ये सवाल नहीं आया कि आखिर इन इमारतों को बनाते समय पत्थरों को जोड़ने के लिए ऐसा क्या इस्तेमाल किया जाता होगा, जो ये आज भी इतनी मजबूत हैं. बिना सीमेंट के आखिर इनका निर्माण कैसे हुआ होगा? आइए आपको बताते हैं-
खास तरह के घोल का इस्तेमाल
ऐतिहासिक इमारतों में अगर दुनिया में प्रसिद्ध ताजमहल की बात करें तो इसका निर्माण 1631 से लेकर 1648 के बीच माना जाता है. उस समय दुनिया में सीमेंट नहीं आया था. ऐसे में ताजमहल के पत्थरों को किस तरह से चिपकाया गया होगा? ये बड़ा सवाल है क्योंकि ताजमहल आज बेहद मजबूत है. इतनी मजबूती तो सीमेंट की बनी इमारतों में भी नहीं होती. कहा जाता है कि पुराने समय की इन इमारतों में पत्थरों को चिपकाने के लिए खास तरह का घोल बनाया जाता था.
इस खास तरह के घोल को बनाने के लिए बनाने के लिए चिकनी मिट्टी, लाइन वगैरह का इस्तेमाल किया जाता था. ताजमहल के लिए इस घोल को चिकनी मिट्टी, गुड़, बताशे, बेलगिरी का पानी, उड़द की दाल, दही, जूट, कंकर, गोंद आदि को मिक्स करके खास तरह का घोल तैयार किया गया था. इस तरह के खास घोल का इस्तेमाल इमारत की नींव में किया गया. यही कारण है कि आज इतने साल बाद भी ताजमहल इतना मजबूत है कि भूकंप, तूफान, बारिश, धूप, गर्मी, सर्दी सबका मुकाबला बहुत आसानी से कर लेता है.
पहली बार कब हुआ सीमेंट का इस्तेमाल
सीमेंट का इस्तेमाल सबसे पहले इंग्लैंड के Joseph Aspdin नाम के वैज्ञानिक ने 1824 ई. में किया था. सीमेंट का आविष्कार पोर्टलैण्ड में होने के कारण इसका नाम पोर्टलैण्ड सीमेंट रखा गया था. भारत में सीमेंट का पहला कारखाना वर्ष 1904 में गुजरात के पोरबंदर में स्थापित किया गया, लेकिन सीमेंट का उत्पादन वर्ष 1904 में चेन्नई में स्थापित कारखाने में शुरू हुआ था. हालांकि ये सफल नहीं हो पाया. चेन्नई में स्थापित सीमेंट का पहला कारखाना सीपियों पर आधारित था. साल 1912-13 में पोरबंदर (गुजरात) में पहले सफल कारखाने की स्थापना की गई.
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