रश्मिका मंदाना के Deepfake वीडियो पर सरकार का सख्त कदम, सोशल मीडिया कंपनियों को भेजी एडवायजरी
हाल ही में अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का काट-छांट किया गया (डीप फेक) वीडियो सामने आया है. इसी के मद्देनज़र सरकार लोगों की प्राइवेसी लेकर सख्त कदम उठा रही है. सरकार की ओर से जारी एडवायजरी के तहत यूजर या सरकारी प्राधिकरण से रिपोर्ट प्राप्त होने पर 36 घंटे के भीतर डीपफेक सामग्री को हटाना अनिवार्य है.
केंद्र ने X (पूर्व में ट्विटर), इंस्टाग्राम और फेसबुक समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर छेड़छाड़ की गयी तस्वीरों को हटाने के लिये कहा है. हाल ही में अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का काट-छांट किया गया (डीप फेक) वीडियो सामने आया है. ये डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खूब प्रसारित हो रहा है. नेटिज़न्स का दावा है कि वीडियो से छेड़छाड़ की गई है और वास्तविक वीडियो ब्रिटेन में रहने वाली भारतीय मूल की महिला का है.
सोशल मीडिया गलत सूचना को हटाने के लिए बाध्य
एक सूत्र ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों के नियम के मुताबिक काम करने में विफल रहने के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय कार्रवाई करेगा. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोमवार को ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर अभिनेत्री के डीप फेक वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुये कहा था कि सोशल मीडिया कंपनियां किसी भी गलत सूचना को हटाने के लिए बाध्य हैं.
डीपफेक के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्यमंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि हमारे डिजिटल नागरिकों की सुरक्षा और भरोसे को बनाए रखना हमारी अटूट प्रतिबद्धता और नरेंद्र मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. गलत सूचनाओं और डीपफेक से पैदा होने वाली गंभीर चुनौतियों को देखते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) ने पिछले छह महीनों के भीतर दूसरी एडवायजरी जारी की है, जिसमें ऑनलाइन प्लेटफार्मों से डीपफेक के प्रसार के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई करने को कहा गया है.
डीपफेक एक बड़ा उल्लंघन है और विशेष रूप से महिलाओं को नुकसान पहुंचाता है. हमारी सरकार सभी नागरिकों की सुरक्षा और विश्वास की जिम्मेदारी को बहुत गंभीरता से लेती है. बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा इससे भी बड़ी जिम्मेदारी है, जिन्हें इस तरह की सामग्री द्वारा लक्षित किया जाता है. सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियम, 2021 के तहत किसी भी यूजर द्वारा गलत सूचना के प्रसार को रोकना ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का कानूनी दायित्व है.
रिपोर्टिंग के 36 घंटे के भीतर सामग्री को हटाना अनिवार्य
मंत्री ने बताया कि यूजर या सरकारी प्राधिकरण से रिपोर्ट प्राप्त होने पर 36 घंटे के भीतर ऐसी सामग्री को हटाना अनिवार्य है. इस आवश्यकता का अनुपालन करने में विफलता नियम 7 को लागू करती है, जो पीड़ित व्यक्तियों को भारतीय दंड संहिता (IPC) के प्रावधानों के तहत अदालत में जाने का अधिकार देती है. यह जरूरी है कि प्लेटफॉर्म इस खतरे से निपटने के लिए सक्रिय कदम उठाएं. जो लोग खुद को डीपफेक से प्रभावित पाते हैं, मैं उनको अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियम, 2021 के तहत दिए गए उपायों का लाभ उठाने के लिए दृढ़ता से प्रोत्साहित करता हूं.
एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा को बताया, कि आईटी नियमों के उपबंध और सोशल मीडिया कंपनियों के दायित्वों का हवाला देते हुए सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म को एक परामर्श जारी किया गया है. परामर्श के अनुसार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को उस सामग्री को हटाने या अक्षम करने के लिए सभी उपाय करने चाहिए जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रतिरूपण की प्रकृति में है. इसमें कहा गया है कि सोशल मीडिया मध्यस्थों को नियमों और विनियमों, गोपनीयता नीति का पालन करना चाहिए और यूजर्स को किसी अन्य व्यक्ति का फेक वीडियो पोस्ट न करने के लिए सूचित करना चाहिए.