India Lockdown Review: मधुर भंडारकर निर्देशित फिल्म  इंडिया लॉकडाउन आज zee5 ott पर रिलीज हो गयी है. फिल्म में कोरोना वायरस पैनडेमिक के दौरान देश में लगे लॉकडाउन के समय लोगों की परेशानियों को बखूबी दिखाया गया है. इस फिल्म की ज्यादातर शूटिंग लॉकडाउन में मुंबई और आसपास इलाकों में शूट किया गया है. जिसमें देश में महामारी के कारण लोगों के  संघर्ष करने वालों की कहानी को बताया गया है. फिल्म को अमित जोशी और आराधना शाह ने लिखी है. फिल्म में श्वेता बसु प्रसाद, आहना कुमार, प्रतीक बब्बर, सई ताम्हणकर और प्रकाश बेलावाड़ी मुख्य भूमिकाओं में हैं.

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कैसे लोग घरों में हुए कैद फिल्म की कहानी 4  अलग-अलग किरदार पर आधारित है.जहां नौकरी जाने की वजह से कई लोगों की जिंदगियां तबाह हुई, वहीं कई लोगों ने इसको काफी इंजॉय भी किया. कहीं वर्क फ्रॉम होम में साथ रहने से कपल के रिश्ते सही हो गए. तो वहीं कई कपल एक साथ रहने के कारण तलाक तक लेना पड़ा. कई ऐसे परिवार भी थे जिनके बच्चे कई साल में उनसे मिलने आते थे लेकिन कोरोना ने उनको एक साथ रहना सीखाया, फिल्म में आपको लोगों के कुकिंग स्किल्स भी देखेंगे.जब सब कुछ बंद हो गया था तो लोगों ने घर पर कुकिंग सीखी.

जानें क्या है फिल्म की कहानी फिल्म की शुरुआत एक बुज़ुर्ग की कहानी से होती है जिनका नाम नागेश्वर राव है.वे अपने कुत्ते के साथ एक फ्लैट में रहते हैं.  उनकी बेटी हैदराबाद  में है जो कि गर्भवती है. उन्हें अपनी बेटी के पास हैदराबाद जाना है क्यूंकि वो प्रेग्नेंट है. नागेश्वर lockdown के दौरान अपनी बेटी तक पहुंच पाते है या नहीं? वे एक मजबूर पिता के रोल में नजर आए हैं, जो परिवार से दूर दूसरे शहर में फंस गए थे. वो समय उनकी बेटी की जिंदगी का सबसे मुश्किल समय था, लेकिन सब कुछ बंद होने की वजह से वो सही समय पर परिवार तक नहीं पहुंच पाए थे.

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फिल्म में दिखा कोरोना का दर्द फिल्म में एक गांव की लड़की मेहरू की कहानी को भी काफी संजीदा तरीके से दिखाया गया है कि कैसे वे अपने घर पर झूठ बोलकर पैसे भेजती है. जो बदनाम कहे जाने वाले इलाके में 'नामी' लोगों का मन बहलाने का काम करती है लेकिन उसकी मां को लगता है कि उनकी बेटी मुंबई के किसी हॉस्पिटल में नर्स है. वे रेड लाइट एरिया में काम करती है. कोरोना में जब उसका काम बंद हो गया तब उसकी स्थिति दयनीय हो गई. इसके साथ में एक पति-पत्नी की भी कहानी है जिसकी 2 बेटियां भी हैं. पति गोलगप्पे, टिक्की का ठेला लगाते हैं जिसका कर्ज चुकाया जाना अभी बाकी है और पत्नी, नागेश्वर राव के घर में काम करती है. लॉकडाउन के वक्त जब सोसाइटी वालों ने बाई को घर में काम करने से मना कर दिया तो उनको दो वक्त की रोटी के लिए चिंता हो गई. Lockdown के दौरान सबसे मार्मिक कहानी प्रवासी मजदूरों की दिखाई गई है.. 19 नवंबर को रिलीज हुआ था ट्रेलर फिल्म के ट्रेलर में देश में कोरोना महामारी के दौरान लोगों के संघर्षों की कहानी दिखाई गई थी. ट्रेलर में प्रतीक बब्बर एक गरीब मजदूर के किरदार में नजर आ रहे हैं, जो लॉकडाउन लग जाने की वजह से अपने घर का सामान बेच कर अपने बच्चों का पेट भरता है और अंत में कोई चारा नहीं बचने के कारण अपने परिवार के साथ पैदल ही गांव निकल जाता है. फिल्म का यह ट्रेलर काफी भावुक कर देने वाला था.

क्यों देखें ये फिल्म

फिल्म साल 2020 में आई कोरोना महामारी के दौरान लोगों पर आई मुसीबत को दिखाया गया है. इसके साथ ही अपने परिवार, दोस्तों और अपने देश की अहमियत को बसूबी बताया गया है.

2020 में लगा था पहला लॉकडाउन मार्च 2020 में कोरोना वायरस की वजह से हालात बिगड़ने पर सरकार ने पहले 21 दिनों का लॉकडाउन लागू किया था. उस समय पूरा देश बंद हो गया था.  मास्क पहनना अनिवार्य हो गया था. हालात तब और भी ज्यादा बिगड़ गए थे, जब कोरोना की दूसरी वेव ने हमला किया था. उस समय ऑक्सीजन की कमी की से कितने लोगों की मौत हो गई. अस्पतालों में जगह नहीं बची थी. ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल रहे थे. यहां तक कि शमशान घाट में लाश जलाने तक की जगह नहीं बची थी. कब और कहां देख सकते हैं फिल्म आप इस फिल्म को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं. ये फिल्म आज  2 दिसंबर 2022 को ZEE5 पर रिलीज हो चुकी है.