Hindi Diwas: हिंदी भाषा का महत्व बताती हैं ये बॉलीवुड मूवीज, आपने भी कई बार देखी होगी
आज राष्ट्रीय हिंदी दिवस है. हर साल 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है. इस दिन पर हम आपको बता रहे हैं बॉलीवुड की उन फिल्मों के बारे में जिसमें हिंदी के महत्व को समझाने की कोशिश की गई है.
Hindi Diwas 2024: आज राष्ट्रीय हिंदी दिवस है. हर साल 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है. हिंदी एक ऐसी भाषा है जो 'अ' से अनपढ़ से शुरू होकर 'ज्ञ' से ज्ञानी पर जाकर खत्म होती है. ये वास्तव में एक भाषा नहीं, बल्कि लोगों को आपस में जोड़कर रखने वाली भावना जैसी है. समय के साथ हिंदी ऐसी भाषा बन चुकी है, जो बहुत तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है. आज दुनियाभर के तमाम विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा पढ़ाई जाती है.
तमाम ऐसे हिंदी उपन्यास हैं, जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं. बीते कुछ वर्षों में पश्चिमी संस्कृति ने भारत समेत दुनियाभर में तेजी से पैर पसारे हैं. इस बीच अंग्रेजी ने हिंदी भाषा को रिप्लेस करने की कोशिश की है. ऐसे में हिंदी दिवस लोगों को हिंदी की महत्ता को समझाने और हिंदी के प्रति प्रेम और सम्मान को बढ़ाने वाला दिन है. ऐसी तमाम बॉलीवुड फिल्में हैं, जिसमें लोगों को हिंदी भाषा के महत्व को समझाया गया है. आपने भी इन फिल्मों को कई बार देखा होगा और अगर नहीं देखा तो अब जरूर देखें.
गोलमाल
साल 1979 में आयी फिल्म गोलमाल फिल्म आपने कई बार देखी होगी और ठहाके भी लगाए होंगे. ये फिल्म अपने समय की सुपरहिट फिल्मों में से एक थी. लेकिन क्या आपने फिल्म में ये नोटिस किया कि इसमें हिंदी भाषा को कितना महत्व दिया गया है? अमोल पालेकर, बिंदिया गोस्वामी और उत्पल दत्त इस फिल्म में मुख्य रोल में हैं. इस फिल्म में उत्पल जी ने ठान लिया है कि वे अपने दफ्तर में उसी व्यक्ति को नौकरी देंगे जो हिंदी भाषा में अच्छी जानकारी रखता हो. नौकरी पाने के चक्कर में अमोल पालेकर को डबल रोल की भूमिका निभानी पड़ती है. आखिरकार अमोल को बात समझ आ ही जाती है कि हिंदी भाषा की भारत में क्या महत्ता है.
चुपके-चुपके
फिल्म चुपके-चुपके एक कॉमेडी फिल्म है जो साल 1975 में आयी थी. इस फिल्म में धर्मेंन्द्र की हिंदी सबका मन मोह लेती है. फिल्म में धर्मेंद्र शुद्ध हिंदी भाषा बोलते नजर आते हैं. धर्मेन्द्र की शुद्ध हिंदी वार्तालाप सुन हर कोई हंसी से गदगद हो जाता है. धर्मेंद्र के अलावा फिल्म में शर्मिला टैगोर, अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और ओम प्रकाश जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में थे.
इंगलिश-विंगलिश
इंगलिश-विंगलिश फिल्म 2012 में आयी थी. इस फिल्म में ये मैसेज दिया गया है कि जिस अंग्रेजी को हमने अपने देश में इतना श्रेष्ठ बना दिया है कि इसके सामने हिंदी बोलने वाले हमें छोटे लगते हैं, वास्तव में ऐसा उन देशों में नहीं होता, जहां अंग्रेजी भाषा बोली जाती है. फिल्म में अंग्रेजी न आने के कारण शशि यानी श्रीदेवी को बार-बार नीचा दिखाया जाता है. उसकी दस-बारह वर्ष की लड़की पैरेंट्स-टीचर मीटिंग में अपनी मां को ले जाने में शर्मिंदगी महसूस करती है. इसके कारण शशि को अंग्रेजी सीखने के लिए उसे विदेश जाना पड़ता है. वहां जाकर उसे पता चलता है कि अंग्रेजी को भारत में यूंही हौवा बनाया गया है. विदेशों में अगर आप टूटी फूटी इंगलिश बोलते हैं तो लोग आपका मजाक नहीं बनाते बल्कि आपकी मदद करते हैं. ये एक सामान्य बात है और विदेशों में हिंदी को बहुत उत्सुकता से सुना जाता है.
हिंदी मीडियम
इस फिल्म में इस बात के लिए चेताया गया है कि आज के समय में अंग्रेजी कल्चर किस तरह हावी हो रहा है और अंग्रेजी समय के साथ हिंदी की कितनी बड़ी प्रतिद्वंदी बन गई है. फिल्म में इरफान खान ने राज बत्रा का रोल निभाया है, जो अमीर होने के बावजूद अच्छे से अंग्रेजी भाषा नहीं बोल पाता, इसलिए वो अपनी बेटी को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाना चाहता है. यानी अंग्रेजी का प्रभाव इस कदर बढ़ गया है कि लोग अपने बच्चों को हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ाना भी नहीं चाहते. ये फिल्म साल 2017 में आई थी.
नमस्ते लंदन
2007 में आयी इस फिल्म ने लोगों के अंदर हिंदी और भारतीय सभ्यता के प्रति सोए हुए प्यार को फिर से जगाने का प्रयास किया था. फिल्म में अक्षय कुमार और कटरीना कैफ मुख्य रोल में थे. भारतीय सभ्यता के बारे में बताते हुए फिल्म के डायलॉग्स इतने वायरल हुए थे कि लोगों की जबान पर चढ़ गए थे. इन डायलॉग्स ने ऐसा जादू किया था कि लोग सिनेमा हॉल में खड़े होकर ताली बजाने लगते थे.