Christmas Day Celebration: क्रिसमस डे का पर्व कुछ ही दिनों में आने वाला है. हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस डे (Christmas Day) मनाया जाता है. इस दिन को लोग ईसाह मसीह (यीशू) के जन्‍मदिन के तौर पर धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं. क्रिसमस का नाम लेते ही सबसे पहले जेहन में दो चीजें आती हैं पहला सेंटा और दूसरा क्रिसमस ट्री. इस दिन जगह-जगह पर क्रिसमस ट्री (Christmas Tree) को सजाया जाता है. इसे ईश्‍वरीय पौधा माना जाता है. लेकिन क्‍या आपके दिमाग में कभी ये सवाल आया है कि आखिर क्रिसमस ट्री का यीशू से क्‍या कनेक्‍शन है?  क्‍यों हर साल इसे क्रिसमस के मौके पर सजाया जाता है? क्रिसमस ट्री को लेकर कई तरह की मान्‍यताएं प्र‍चलित हैं. आइए आपको बताते हैं कुछ मान्‍यताएं-

पहली मान्‍यता

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माना जाता है कि 16वीं सदी के ईसाई धर्म के सुधारक मार्टिन लूथर ने क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरुआत की थी. एक बार वे बर्फीले जंगल से गुजर रहे थे. वहां उन्‍होंने सदाबहार फर (सनोबर) के पेड़ को देखा. पेड़ की डालियां चांद की रोशनी में चमक रही थीं. वे इससे बहुत प्रभावित हुए और अपने घर पर भी इस पेड़ को लगा लिया. जब ये थोड़ा बड़ा हुआ तो 25 दिसंबर की रात को उन्‍होंने इस पेड़ को छोटे-छोटे कैंडिल और गुब्‍बारों से सजाया. ये इतना खूबसूरत लग रहा था कि तमाम लोग इसे घर में लगाकर सजाने लगे. धीरे-धीरे हर साल 25 दिसबंर के दिन इस पेड़ को सजाने का चलन शुरू हो गया. 

दूसरी मान्‍यता

क्रिसमस ट्री से जुड़ी एक मान्‍यता 722 ईसवी की से जुड़ी बताई जाती है. कहा जाता है कि सबसे पहले क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा जर्मनी में शुरू हुई. एक बार जर्मनी के सेंट बोनिफेस को पता चला कि कुछ लोग एक विशाल ओक ट्री के नीचे एक बच्चे की कुर्बानी देने की तैयारी कर रहे हैं. बच्‍चे की जान को बचाने के लिए उन्‍होंने मौका पाकर उस ओक ट्री को ही काट दिया और कुछ समय बाद उस जगह पर फर का पेड़ लगा दिया और लोगों को बताया कि ये एक दैवीय वृक्ष है और  इसकी डालियां स्वर्ग की ओर संकेत करती हैं. सेंट बोनिफेस की बात मानकर लोग फर के पेड़ को दैवीय मानने लगे और हर साल जीसस के जन्मदिन पर उस पवित्र वृक्ष को सजाने लगे. धीरे-धीरे यह परंपरा दूसरे देशों में पहुंची. 19वीं शताब्‍दी में इसका चलन इंग्‍लैंड में भी शुरू हो गया. यहां से पूरी दुनिया में क्रिसमस के मौके पर ट्री सजाने का ट्रेंड चल पड़ा.

यीशू से कनेक्‍शन को लेकर मान्‍यता

कई लोग क्रिसमस ट्री का संबन्‍ध यीशू से भी मानते हैं. कहा जाता है कि जब प्रभु यीशू का जन्म हुआ था, तब देवदूत भी उनके माता- पिता मरियम और जोसेफ को बधाई देने आए थे. उस समय देवदूतों ने सितारों से रोशन सदाबहार फर ट्री उन्हें भेंट किया था. इसके बाद इस पेड़ को दैवीय पेड़ माना जाने लगा और हर साल यीशू के जन्‍मदिन पर इसे सजाने का चलन शुरू हो गया. पहले लोग असली फर के पेड़ को घर में लगाकर सजाते थे. समय के साथ इसका चलन बढ़ा तो आर्टिफिशियल क्रिसमस ट्री बिकने लगे और लोग आर्टिफिशियल क्रिसमस ट्री को ही घर में लाकर सजाने लगे.