Christmas Day 2022: सेंटा के बगैर अधूरा है क्रिसमस, जानें कैसे पॉपुलर हुआ सेंटा का लाल कपड़े और सफेद दाढ़ी वाला रूप
लाल कपड़े पहने हुए, सिर पर लाल रंग की टोपी और लंबी सफेद दाढ़ी, सेंटा का ये रूप बच्चों को बहुत पसंद है. सालभर तक बच्चे इस दिन सेंटा के आने का इंतजार करते हैं. कई दिन पहले से बाजार में सेंटा की ड्रेसेज और टोपियां बिकनी शुरू हो जाती हैं.
हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस डे (Christmas Day 2022) मनाया जाता है. ये ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों का बड़ा त्योहार है. इसे यीशू के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है. क्रिसमस की बात होते ही मन में सेंटा क्लॉज (Santa Claus) का खयाल आ जाता है. लाल कपड़े पहने हुए, सिर पर लाल रंग की टोपी और लंबी सफेद दाढ़ी और मूंछों वाला सेंटा इस दिन जगह-जगह बच्चों को गिफ्ट्स, टॉफी और चॉकलेट बांटते हुए नजर आ जाता है.
सेंटा का ये रूप बच्चों को बहुत पसंद है. सालभर तक बच्चे इस दिन सेंटा के आने का इंतजार करते हैं. कई दिन पहले से बाजार में सेंटा की ड्रेसेज और टोपियां बिकनी शुरू हो जाती हैं. ऐसे में एक सवाल उठता है कि क्या वाकई इस रूप वाला कोई सेंटा कभी रहा होगा या सिर्फ ये एक कल्पना है. आइए जानते हैं कि नें कैसे पॉपुलर हुआ सेंटा का लाल कपड़े और सफेद दाढ़ी वाला रूप.
पहले जानिए कौन था असली सेंटा
सेंटा के आज के रूप को जानने से पहले ये जानना जरूरी है कि असली सेंटा कौन था और क्यों 25 दिसंबर को सेंटा बच्चों को गिफ्ट वगैरह बांटता है. सेंटा की कहानी निकोलस नाम के एक शख्स से जुड़ी मानी जाती है. निकोलस का जन्म तीसरी सदी (300 ए.डी.) में जीसस की मौत के 280 साल बाद तुर्किस्तान के मायरा नामक शहर में हुआ था. निकोलस बहुत दयालु थे और हर किसी को खुश रखना चाहते थे. वे हर किसी की मदद किया करते थे.
निकोलस हर साल 25 दिसंबर यानी यीशू के जन्मदिन के मौके पर गिफ्ट्स और चॉकलेट बांटा करते थे. उन्हें वाहवाही पसंद नहीं थी, इसलिए वे आधी रात में गरीब लोगों के घर जाकर बच्चों के लिए खिलौने और खाने पीने की चीजें चुपचाप रख आया करते थे. उनकी उदारता को देखकर लोगों ने निकोलस को संत निकोलस कहना शुरू कर दिया. निकोलस की मृत्यु के बाद लोगों ने वेश बदलकर गरीबों और जरूरतमंदों और बच्चों को 25 दिसंबर की रात को गिफ्ट और खाने पीने की चीजें देना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे ये एक प्रथा बन गई. समय के साथ संत निकोलस सांता क्लॉज और फिर सेंटा क्लॉज के रूप में प्रसिद्ध हो गए. संत निकोलस का नया नाम डेनमार्क वासियों की देन बताया जाता है.
कार्टून देखकर बनाया गया ये सेंटा
जिस सेंटा को हम आज के समय में देखते हैं, उसे लोकप्रिय बनाने का काम अमेरिका के पॉलिटिकल कार्टूनिस्ट थॉमस नैस्ट ने किया. वे हार्पर्स वीकली के लिए कार्टून बनाया करते थे. 3 जनवरी 1863 में पहली बार उनका बनाया हुआ दाढ़ी वाला सेंटा क्लॉज का कार्टून मैगजीन में छपा था. इस कार्टून ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा. इसके बाद तमाम ब्रांड्स के प्रचार के लिए इस कार्टून का इस्तेमाल किया जाने लगा और कई तरह के प्रयोग किए जाने लगे.
एड से फेमस हुआ सेंटा का ये रूप
तमाम प्रयोगों के बीच कोका-कोला का एक एड भी आया जिसमें लाल रंग के कपड़े पहने और सफेद दाढ़ी वाले सेंटा को दिखाया गया. इस एड में हैडन संडब्लोम नामक एक कलाकार सेंटा बना था. ये एड लोगों के बीच काफी पसंद किया गया और इसे लगातार 1931 से लेकर 1964 तक चलाया गया. इससे सेंटा का ये रूप लोगों के दिमाग में बैठ गया और सेंटा का ये रूप प्रचलित हो गया.