आषाढ़ मास की शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी (Devshayani Ekadashi) या हरिशयनी एकादशी (Hari Shayani Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. मान्‍यता है कि देवशयनी एकादशी से श्रीहरि निद्रा के लिए चले जाते हैं. इस बीच सृष्टि के पालन का दायित्‍व महादेव पर होता है. इसके बाद कार्तिक मास में आने वाली देवउठनी एकादशी में उनका शयनकाल समाप्‍त होता है और वो फिर से सृष्टि पालन का जिम्‍मा संभालते हैं. देवशयनी एकादशी से ही चातुर्मास (Chaturmas 2023) की भी शुरुआत होती है. इस साल देवशयनी एकादशी 29 जून को है, यानी 29 जून से ही चातुर्मास शुरू होंगे. 

चातुर्मास देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक के समय को कहा जाता है. आमतौर पर ये समय चार महीने का होता है, इसलिए इसे चातुर्मास कहा गया है. लेकिन इस साल अधिक मास के चलते चातुर्मास भी 4 की बजाय 5 महीने का पड़ेगा. चातुर्मास में मांगलिक कार्य की मनाही होती है. साथ ही शास्‍त्रों में कुछ नियमों का पालन करने के लिए कहा गया है. ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से जानते हैं चातुर्मास के इन नियमों के बारे में.

इन कामों की होती है मनाही

  • चातुर्मास के दौरान तामसिक और गरिष्‍ठ भोजन, शराब, नॉनवेज, अंडा आदि चीजों को नहीं खाना चाहिए. इस समय को संयम का समय कहा गया है.
  • चातुर्मास के दौरान विवाह समारोह, सगाई, सिर मुंडवाना और बच्चे का नामकरण, गृहप्रवेश जैसे तमाम मांगलिक कार्य करने की मनाही है.
  • चातुर्मास के समय में दही, मूली, बैंगन और साग आदि खाने के लिए मना किया जाता है.
  • झूठ, छल, कपट, ईर्ष्‍या, कटु वचन जैसी आदतों से दूर रहें. किसी का दिल न दुखाएं और खुद पर संयम बनाए रखें.
  • अगर आप चातुर्मास के दौरान चार माह का व्रत रखते हैं या कोई विशेष साधना करते हैं तो इस बीच यात्रा न करें.

इन कामों को जरूर करें

  • ये समय साधना का समय होता है. इसमें श्रीहरि की उपासना करनी चाहिए. इस बीच आप विशेष अनुष्‍ठान, मंत्र जाप, गीता का पाठ आदि कर सकते हैं.
  • चातुर्मास में दान-पुण्‍य का विशेष महत्‍व बताया गया है. इस बीच धन, वस्त्र, छाता, चप्पल और अन्न का दान आदि करें. इससे आपकी तमाम समस्‍याएं दूर होंगी.
  • चातुर्मास के दौरान एक संयमित जीवन जीने का अभ्‍यास करें. सुबह जल्‍दी उठें और रात को जल्‍दी सोएं. सादा भोजन करें और समय पर भोजन करें. वाणी को संयमित रखें और सोच-समझकर बात करें.