India Last Tea Shop: देश के आखिरी गांव तक पहुंचा डिजिटल पेमेंट, आनंद महिन्द्रा ने की सराहना
India Last Tea Shop: आनंद महिन्द्रा ने जो दुकान की फोटो शेयर की है वे देश की आखिरी चाय की दुकान है. ये समुद्रतल से करीब 10,500 फीट की ऊंचाई पर बसे एक गांव में है.
India Last Tea Shop: महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन Anand Mahindra सोशल मीडिया पर हमेशा एक्टिव रहते हैं. वे हमेशा अपने अनोखे पोस्ट से लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित करते हैं. इसके साथ ही वे ज्यादातर मोटिवेशनल पोस्ट करते रहते हैं. उनके एक नए पोस्ट पोस्ट में देश की आखिरी चाय की दुकान दिख रही है. जिसकी वे तारीफ करते नजर आ रहे हैं.
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देश की आखिरी चाय दुकान की चर्चा आनंद महिन्द्रा ने जो दुकान की फोटो शेयर की है वे देश की आखिरी चाय की दुकान है. ये समुद्रतल से करीब 10,500 फीट की ऊंचाई पर बसे एक गांव में है. इस दुकान की खास बात यह है कि यहां भी डिडिटल पेमेंट ( Digital payment) की सुविधा है. दुकान की फोटो में गांव का जिक्र करते हुए लिखा गया है मणि द्रपुरी( माणा), ब्यास गुफा श्री बद्रीनाथ. इस दुकान पर यूपीआई से पेमेंट की सुविधा देख आनंद महिन्द्रा काफी खुश हुए. आनंद महिन्द्रा ने कहा-जय हो.
उत्तराखंड के यूजर ने शेयर की थी फोटो 3 नवंबर को एक ट्विटर यूजर ने उत्तराखंड के इस दुकान की एक फोटो शेयर की थी. इस चाय की दुकान पर लिखा भारत की आखिरी चाय की दुकान दिख रहा था. दुकान पर जो खास बाद नोटिस करने वाली थी वह यह थी कि इसके काउंटर पर UPI BARCODE रखा हुआ है. देश के आखिरी गांव के आखिरी दुकान में भी आपको चाय पीने की लिए कैश की चिंता करने की जरूरत नहीं है. पोस्ट पर आ रही काफी प्रतिक्रिया उत्तराखंड के इस पोस्ट पर आनंद महिन्द्रा ने पोस्ट कर लिखा, जैसा कि कहते हैं एक तस्वीर 1000 शब्दों के बराबर होती है. उसी तरह यह तस्वीर भारत के डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम के दायरे और पैमाने को दर्शाती है. यह हो...आनंद महिन्द्रा का यह ट्वीट काफी वायरल हो रहा है. लोग इसपर तरह-तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
जानें कहां है माणा गांव भारत का आखिरी गांव उत्तराखंड में बद्रीनाथ से तीन किमी की ऊंचाई पर माणा गांव स्थित है. इस गांव का नाता महाभारत काल से जुड़ा बताया जाता है. यह माना जाता है कि पांडवों ने स्वर्ग जाने के लिए यही रास्ता चुना था. स्वर्ग जाते वक्त जब पांडव माणा गांव पहुंचे तो यहां बहने वाली सरस्वती नदी से पांडवों ने रास्ता मांगा था. रास्ता न मिलने पर भीम ने दो बड़ी शिलायें उठाकर नदी के ऊपर रखीं और पुल का निर्माण कर दिया.