Akshaya Tritiya 2023: अक्षय तृतीया को क्यों माना जाता है इतना शुभ? यहां जानिए इस दिन से जुड़ी खास बातें
अक्षय तृतीया के दिन को बेहद शुभ माना जाता है, लेकिन क्यों माना जाता है, ये सवाल तमाम लोगों के मन में रहता है. आइए ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि अक्षय तृतीया का दिन इतना शुभ क्यों है.
Akshaya Tritiya Interesting Facts: हर साल वैशाख के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है. इस दिन को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों में अक्षय तृतीया के दिन को बहुत शुभ माना गया गया है. कहा जाता है कि इस दिन किए गए कर्मों से जीवन में बरकत होती है. उसका फल कभी समाप्त नहीं होता. इसलिए इस दिन अधिक से अधिक दान-पुण्य वगैरह किए जाते हैं. लेकिन इस दिन को इतना शुभ क्यों माना जाता है, ये सवाल अधिकतर लोगों के मन में होता है. आइए ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से जानते हैं.
अक्षय तृतीया से जुड़ी रोचक बातें
- ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र कहते हैं कि अक्षय तृतीया को शुभ मानने के पीछे कई कारण हैं. इस दिन ऐसी तमाम शुभ घटनाएं घटी हैं, जिनके बारे में तमाम लोगों को जानकारी नहीं है.अक्षय तृतीया को लेकर कहा जाता है कि वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं हैं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है और उसी तरह अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नहीं है.
- भगवान विष्णु के छठवें अवतार भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था. इस दिन को परशुराम जयंती के तौर पर भी मनाया जाता है. भगवान परशुराम को आठ चिरंजीवियों में से एक माना गया है. मान्यता है कि वे आज भी धरती पर मौजूद हैं.
- माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान वेदव्यास ने महाभारत की कथा सुनाना शुरू किया था और भगवान गणपति ने इसे लिखना शुरू किया था. इस महाभारत में ही गीता भी समाहित है.
- ये भी माना जाता है कि मां गंगा इसी दिन धरती पर अवतरित हुई थीं. इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन गंगा स्नान करने से आपके जाने-अंजाने किए गए पाप कट जाते हैं.
- अक्षय तृतीया को लेकर कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई थी. इसी दिन युधिष्ठिर को अक्षय पात्र मिला था. इस पात्र का भोजन कभी समाप्त नहीं होता. इससे युधिष्ठिर अपने राज्य के लोगों को भोजन उपलब्ध करवाते थे.
- अक्षय तृतीया के दिन ही सुदामा अपने मित्र भगवान कृष्ण से मिले थे. सुदामा ने कृष्ण को भेंट स्वरूप चावल के मात्र कुछ मुट्ठी दाने दिए थे. उनके पास श्रीकृष्ण को देने के लिए कुछ नहीं था. भाव के भूखे भगवान ने उनके प्रेम से प्रसन्न होकर उनकी झोपड़ी को महल बना दिया था.
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