ये बहुत गजब का संयोग था कि सोमवार को ही ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी और ट्विटर से जुड़े बड़े अधिकारियो को संसदीय समिति के सामने पेश होना था और सोमवार से लखनऊ की रैली से अपने राजनितिक जीवन की शुरुआत करने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी अपना आधिकारिक ट्विटर अकाउंट शुरू किया. पिछले कुछ समय में ट्विटर पॉलिटिकल पार्टीज के लिए एक ऐसा जरिया रहा है, जिससे वह देश की जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में जुटे हैं. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि क्या वाकई में ट्विटर जैसे सोशल मीडिया आने वाले 2019 के चुनावों को वोटरों के नजरिए से प्रभावित कर सकते है?

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ऐसे ट्रेंड कराया गया ट्वीट

हाल ही में 2 फरवरी को ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी का एक ट्वीट ट्रेंड कर रहा था. ये ट्वीट करीब सुबह 7.19 पर किया गया था. प्रधानमंत्री के जिस ऑफिसियल ट्विटर से इसे ट्वीट किया गया, उस पर सही प्रमाणकिता वाला नीले रंग का राइट टिक भी लगा हुआ था.  इस ट्वीट में वेस्ट बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के द्वारा राजनितिक विद्वेष के चलते आयुष्मान भारत योजना को लागू ना करने की बात कही गई थी. लेकिन, जब इस ट्वीट को प्रधानमंत्री के सही वाले ऑफिसियल ट्विटर हैंडल पर जाकर चेक किया गया तो ये बात बिलकुल गलत निकली. ऐसा कोई भी ट्वीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऑफिसियल ट्विटर हैंडल से नहीं किया गया. इसके मायने साफ हैं कि चुनावों का रुख मोड़ने के लिए अब सोशल मीडिया का इस तरह दुरुपयोग किया जा रहा है. 

अलग-अलग तरीकों से होता है इस्तेमाल

इसके अलग-अलग तरीके होते है जैसे ट्विटर पर या दूसरे सोशल मीडिया पर आने वाले ऐड, जिन्हे एक खास वर्ग को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है और फिर उन्हें प्रमोट किया जाता है. 

दूसरा है किसी भी जानी मानी हस्ती के ट्विटर हैंडल से मिलता जुलता एक और ट्विटर हैंडल फोटोशॉप की मदद से बनाया जाए, उसमें डिस्प्ले पिक्चर से लेकर वक्त, जगह जैसे छोटी से छोटी बात का खास ध्यान रखा जाए और फिर उसमे अपने मतलब का प्रोपोगेंडा डालकर ट्वीट किया जाए, उसे रीट्वीट किया जाए. जब तक उसकी सत्यता की जांच होगी तब तक उसे कई हजारों या लाखों बार रीट्वीट किया जा चुका होगा.

तीसरा है कि किसी भी जानी मानी हस्ती के ट्विटर हैंडल को ही हैक कर लिया जाए और अपने प्रोपोगेंडा को उसके जरिए वायरल किया जाए. 

क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट

साइबर एक्सपर्ट संजोग शेलार से जब हमने बात की तो उन्होंने हमें बताया की "पॉलिटिकल पार्टी आजकल तेजी से ट्विटर से जुड़ रही हैं. इससे उनकी पहुंच आम लोगों तक ज्यादा से ज्यादा और जल्दी हो जाती है. शायद इसीलिए कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी अपनी लखनऊ में हो रही रैली करने से पहले सुबह-सुबह ऑफिशियली ट्विटर अकाउंट शुरू किया. लेकिन, इसके जरिए पॉलिटिकल पार्टियों से जुड़े कई लोग फेक खबरें भी फैलाने में जुटे रहते हैं. इस प्लेटफार्म के ज़रिये आम आदमी के दिमाग में फेक खबर को भी 'वर्ड ऑफ माउथ' जैसे वायरल पबिलिसिटी करके फैलाया जा सकता है और आने वाले चुनावो पर असर डाला जा सकता है. 

यही वजह है कि संसदीय समिति चुनावों से पहले ट्विटर के सीईओ और दूसरे उच्च अधिकारियों से मिलकर तमाम सवालों और शंकाओ को दूर करना चाहती है और इसके लिए ट्विटर की जिम्मेदारी तय करना चाहती है.

जी न्यूज ने किया था स्टिंग ऑपरेशन

गौरतलब है कि सबसे पहले जी न्यूज ने अपने स्टिंग ऑपरेशन के जरिए इस बात का खुलासा किया था कि किस तरह सोशल मीडिया पर चुनावों को फिक्सिंग करने का मैदान बना दिया जाता है, जिस पर नेताओं के इशारे पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण किया जाता है. विरोधी दल को मॉर्फेड इमेजेज, डॉक्टर्ड वीडियो और फेक न्यूज को हथियार बनाकर प्रोपोगेंडा फैला कर बदनाम किया जाता है. सोशल मीडिया पर जीत की तरफ चुनावों का रुख मोड़ने वाले कई अदृश्य सैनिक लगातार इस प्रोपोगेंडा को लाइक, कमेंट, शेयर करके वायरल करने के काम में जुटे रहते हैं.

(रिपोर्ट: अंकुर त्यागी)