यदि आप किसी सेल में अपना पुराना मोबाइल बदल कर नया मोबाइल ले रहे हैं तो आपके लिए कुछ पैसे की बचत करने के लिए अपना पुराना मोबाइल बदलना महंगा सौदा साबित हो सकता है. भारत में पुराने मोबाइल व अन्य कोई संग्रहण उपकरण (स्टोरेज डिवाइसेस) बदलने पर 10 में सात लोगों को डेटा चोरी का खतरा और निजता को लेकर चिंता बनी रहती है. यह बात हाल ही में जारी की गई एक रपट में सामने आई है.

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गलत हाथों में पड़ सकता है डेटा

डेटा की सुरक्षा मामले की विशेषज्ञ कंपनी स्टेलर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलोजी प्राइवेट लिमिटेड की हाल ही में कराए गए एक अध्ययन पर तैयार की गई रपट में सावधान करते हुए कहा गया है कि डिवाइस में बचा हुआ डेटा आसानी से गलत हाथों में पड़ सकता है और इससे पहचान की चोरी, वित्तीय धोखाधड़ी, व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरा और निजता को लेकर समस्या पैदा हो सकती है.

चोरी हो सकती है गोपनीय जानकारी

पुराने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर स्टेलर द्वारा किए गए अध्ययन में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि डेटा चोरी से कारोबार को खतरा पैदा हो सकता है. डेटा चोरी कर वित्तीय रिपोर्ट, व्यापारिक समझौते, बौद्धिक संपदा, कारोबारी आसूचना और किसी के नाम से जुड़ी व्यापारिक गोपनीयता जैसी महत्वपूर्ण सूचनाओं का दुरुपयोग हो सकता है.

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ग्राहकों में है जानकारी का अभाव

स्टेलर के सह-संस्थापक और निदेशक (घरेलू व्यवसाय) मनोज धींगरा ने कहा, "ग्राहकों में जानकारी का काफी अभाव है. ऐसे में साइबर अपराध बढ़ने का खतरा लगातार बना हुआ है. पुराने आईटी सामान हटाते हुए लोग विशेष ध्यान नहीं रखते. लेकिन पुराना आईटी सामान हटाते समय सुरक्षा के तौर पर लोगों को व संगठनों को डेटा संतुष्टि प्रक्रिया को अपनाना अत्यावश्यक है."

अध्ययन में ये जनकारी आई सामने

देश में स्टेलर की प्रयोगशाला में अध्ययन के दौरान इस्तेमाल किए गए 300 पुराने डिवाइस को शामिल किया गया, जिनमें हार्ड ड्राइव, मेमोरी कार्ड, मोबाइल फोन शामिल थे. विश्लेषण से पता चला कि 71 फीसदी डिवाइस में निजी डेटा, व्यक्तिगत पहचान के विवरण और संवेदनशील व्यावसायिक सूचनाएं होती हैं. रिपोर्ट में पुराने डिवाइस बेचते समय डेटा को मिटाने की सुरक्षित विधि का उपयोग करने की सलाह दी गई है.