Evergrande Crisis: क्या है एवरग्रांड संकट? हिल गए दुनियाभर के बाजार, अरबपतियों को करोड़ों का झटका
आज कल एवरग्रांड संकट यानी Evergrande Crisis चर्चा में बना हुआ है. एवरग्रांड संकट की वजह से दुनियाभी के बाजार सहमे हुए हैं. अमेरिकी बाजारों में 2 दिनों से लगातार गिरावट है.
Evergrande Crisis: आज कल एवरग्रांड संकट यानी Evergrande Crisis चर्चा में बना हुआ है. एवरग्रांड संकट की वजह से दुनियाभी के बाजार सहमे हुए हैं. अमेरिकी बाजारों में 2 दिनों से लगातार गिरावट है. एशियाई बाजारों पर भी दबाव है. यहां तक सोमवार को घरेलू शेयर बाजार में भारी बिकवाली आई थी. इसके चलते दुनियाभर के दिग्गज कारोबारियों के भी हजारों करोड़ की संपत्ति 2 से 3 दिनों में डूब गई है. जेफ बेजोस, वॉरेन बफे और एलन मस्क जैसे दिग्गजों को नुकसान उठाना पड़ा है. एवरग्रांड संकट के चलते मामला और बिगड़ने का डर बना हुआ है. यहां तक माना जा रहा है कि यह लेहमैन क्राइसिस की तरह हो सकता है और ग्लोबल इकोनॉमी पर इसका असर और गहरा हो सकता है. आखिर क्या है यह एवरग्रांड संकट.....
Evergrande के दिवालिया होने का डर
Evergrande चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में से एक है. अब इसके दिवालिया होने का डर है. कंपनी बेंकों का भारी भरकम कर्ज चुकाने में नाकाम साबित हो रही है. यह चीन की दूसरी सबसे बड़ रीयल एस्टेट कंपनी है. इस कंपनी का विस्तार 280 से ज्यादइा शहरों में है. कंपनी के पास इस समय 1300 बड़े प्रोजेक्ट हैं. प्रॉपर्टी माके्रठट में जब कुछ साल पहले उछाल आया था तो कंपनी ने अपने विस्तार के लिए लगातार कर्ज पर कर्ज लिए हैं. लेकिन प्रॉपर्टी मार्केट पर चीन की सरकार के द्वारा सख्ती पर अब इस पर संकट के बादल गहरा गए हैं. सवाल उठता है कि जब चीन की कंपनी पर दिवालिया होने का डर है तो दुनियाभर के बाजार क्यों हि गए हैं.
ग्लोबल निवेशकों का लगा है पैसा
Evergrande के दिवालिया होने के डर से दुनियाभर के बाजार डरे हैं, इसके पीछे वजह यह है कि इस कंपनी में बहुत से ग्लोबल निवेशकों का पैसा लगा है. जब प्रॉपर्टी मार्केट में उछाल आया और इस कंपनी ने तेजी से अपना विस्तार शुरू किया, उस समय कई ग्लोबल निवेशकों ने ग्रोथ का फायदा उठाने के लिए इसमें पैसे लगाए. लेकिन जब कंपनी दिवालिया होने की कगार पर है, निवेशकों को अपना पैसा डूबता नजर आ रहा है. वहीं इस कंपनी के साथ स्टील, सीमेंट, मेटल और केमिकल सेक्टर की कई कंपनियां कारोबार कर रही हैं. ऐसे में उनका करोबार भी प्रभाति होने का डर है.
लेहमैन संकट की तरह तो नहीं
एवरग्रांड संकट को लेहमैन संकट की तरह देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी गहरा सकती है. बता दें कि 15 सितंबर 2008 को अमेरिका की बैंकिंग फर्म लेहमैन ब्रदर्स ने आधिकारिक तौर पर खुद को दिवालिया घोषित कर दिया था. इस एक खबर के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी देखने को मिली. भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई.