त्योहारों में सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है. खासकर धनतेरस और दिवाली के वक्त लोग ज्यादा सोना खरीदते हैं. हालांकि, खरीदारी के वक्त सही जानकारी नहीं होने पर आपके साथ धोखा हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि आपको सही जानकारी हो. ज्यादातर लोग इसे अपनी सेविंग के तौर पर खरीदना पसंद करते हैं. अगर आप भी इस फेस्टिव सीजन में सोना खरीदने जा रहे हैं तो ये बात जानना आपके लिए बहुत जरूरी है. क्योंकि, सोने के पीछे छुपा है टैक्स के एक नियम. अगर निवेश के लिहाज से सोना खरीदा जा रहा है तो यह जरूरी है कि टैक्स के इस नियम को समझा जाए. 

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सोना खरीदने पर टैक्स चुकाना पड़ता है. लेकिन, क्या बेचने पर भी टैक्स चुकाना होता है. जी हां, ज्यादातर लोगों को यह बात नहीं पता होगी. क्योंकि, ज्वेलर्स इसकी जानकारी नहीं देते. दरअसल, सोना कहीं से भी खरीदें लेकिन, बेचते वक्त टैक्स चुकाना होगा या नहीं यह देखना होगा.

कैसे लगता है टैक्स

डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ने के बाद से लोगों ने कैश में सोना खरीदना कम किया है. डिजिटल माध्यम से भी सोना खरीदा जा सकता है. मतलब यह कि सोने की पेमेंट आप डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग से कर सकते हैं. लेकिन, जीएसटी लागू होने के बाद सोना खरीदने पर ग्राहक को 3 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है. यह टैक्स मेकिंग चार्ज पर भी लगता है.

बेचने पर लगेगा टैक्स

सोना खरीदने के बाद इसे बेचने पर भी टैक्स लगता है. हालांकि, वह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने सोना कितने समय के लिए अपना पास रखा है. दरअसल, कुछ लोग लंबी अवधि और कुछ छोटी अवधि के लिए इसमें निवेश करते हैं. अगर छोटी अवधि के लिए रखा जाए तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा और अगर लंबी अवधि के लिए सोना अपने पास रखा जाए तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के आधार पर इसे बेचते वक्त टैक्स चुकाना होगा.

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (STCG)

अगर आप जूलरी खरीदने के 36 महीने यानी 3 साल के अंदर बेच देते हैं तो आपके मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स चुकाना पड़ेगा. क्योंकि, सोने में निवेश से हुआ फायदा आपकी कुल आय में जोड़ दिया जाएगा. फिर, आप जिस टैक्स-स्लैब में आते हैं, उसके हिसाब से टैक्स चुकाना होगा.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG)

अगर सोना खरीदकर आपने उसे तीन साल से ज्यादा अवधि के लिए अपने पास रखा तो आपको इससे हुए फायदे पर लॉन्ग कैपिटल गेंस टैक्स चुकाना होगा. वित्त वर्ष 2017-18 तक सोने की खरीद मूल्य पर इंडेक्सेशन लागू करने के बाद 20.6 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस लगता था. वित्त वर्ष 2018-19 से गेंस पर 20.8 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.