पहली बार भारतीय शेयर बाजार में निवेश करेंगे रूसी निवेशक, सेबी ने 3 कंपनियों को दिया FPI लाइसेंस
रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच इस फैसले से ये कंपनियां भारतीय पूंजी बाजार में निवेश कर सकेंगी. यह पहला मामला है कि जब रूसी निवेशकों ने भारत में निवेश करने के लिए एफपीआई मार्ग को चुना है.
Russian Investors: भारतीय शेयर बाजार में अब रूसी निवेशक भी निवेश कर सकेंगे. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Sebi) ने रूस की तीन कंपनियों को फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) के रूप में रजिस्टर्ड होने के लिए लाइसेंस दिया है. रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच इस फैसले से ये कंपनियां भारतीय पूंजी बाजार में निवेश कर सकेंगी. यह पहला मामला है कि जब रूसी निवेशकों ने भारत में निवेश करने के लिए एफपीआई मार्ग को चुना है. इससे पहले, वे ज्यादातर फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) रूट अपनाते थे.
नेशनल सिक्योरिटीड डिपॉजिटरी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, सेबी से एफपीआई लाइसेंस हासिल करने वाले तीनों निवेशक मॉस्को के हैं. अल्फा कैपिटल मैनेजमेंट कंपनी (Alfa Capital Management Company) कैटेगरी -1 और कैटेगरी- 11, दोनों में रजिस्टर्ड हैं. इसके अलावा वसेवोलोड रोजानोव (Vsevolod Rozanov) को कैटेगरी -1 में रजिस्टर्ड किया गया है. ये लाइसेंस 3 साल के लिए 2026 की शुरुआत तक वैध है.
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भारतीय बाजारों में संभावनाएं तलाश रहे हैं रूसी निवेशक
एक्सपर्ट्स का मानना है कि फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा देश पर लगाए गए प्रतिबंधों के मद्देनजर रूसी निवेशक भारतीय बाजारों में संभावनाएं तलाश रहे हैं. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा कि रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से नए इकोनॉमिक और फाइनेंशियल डेवलपमेंट हुए हैं. रिजर्व करेंसी के रूप में डॉलर के विकल्प पर गंभीरता से बहस हो रही है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय कैपिटल मार्केट में निवेश करने की इच्छा रखने वाले रूसी निवेशकों-व्यक्तियों और संस्थानों को इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए.
इसके अलावा, उनका मानना है कि भौगोलिक विविधीकरण भारत के लिए भी अच्छा है. रूस से भारत के कच्चे तेल के आयात में तेज बढ़ोतरी के साथ, भारत के साथ रूस का द्विपक्षीय ट्रेड सरप्लस काफी बढ़ गया है. इस संतुलन का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए रूस के पास भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के अपने आयात को बढ़ाने का बहुत कम अवसर है.
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रूस के अलावा, कम से कम 16 चीनी संस्थान हैं जिन्हें भारत में एफपीआई के रूप में स्थायी रजिस्ट्रेशन मिला है. इसके अलावा, आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 217 हांगकांग स्थित संस्थाएं एफपीआई के रूप में रजिस्टर्ड हैं और 124 ताइवान से हैं. संख्या के हिसाब से अमेरिका में सबसे अधिक रजिस्टर्ड FPIs (3,485) हैं. इसके बाद लक्समबर्ग (1,353), कनाडा (825), आयरलैंड (738), यूके (684), मॉरीशस (589) और सिंगापुर (567) हैं.
एनएसडीएल के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, जब फंड फ्लो की बात आती है, तो एफपीआई के एसेट अंडर कस्टडी के मामले में दस सबसे बड़े देश अमेरिका, सिंगापुर, लक्जमबर्ग, मॉरीशस, यूके, आयरलैंड, कनाडा, नॉर्वे, जापान और फ्रांस हैं. इन दस देशों का कुल मिलाकर 50.85 लाख करोड़ रुपये की एफपीआई ओवलऑल एसेट अंडर कस्टडी का 83 प्रतिशत हिस्सा है.
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